एक अंग्रेजी वेबसाइट के मुताबिक मृतक का नाम शाहजहांन है। वह 35 साल की थी। मृतक के परिजन मोहम्मद खालिद ने बताया कि शाहजहांन को किडनी में तकलीफ थी। इसके लिए उसे पुरानी दिल्ली के लोक नायक अस्पताल (Lok Nayak Hospital) में भर्ती कराया गया था। मगर जब से हॉस्पिटल को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए सेंटर में बदला गया तो उन्होंने शाहजहांन को बाहर निकाल दिया। परिजन का आरोप है कि उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी इसलिए उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। इसके बावजूद अस्पताल वालों ने उसे बेड से हटा दिया। इस मुश्किल दौर में शाहजहांन को वापस ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन की ओर से एंबुलेंस या मेडिकल स्टाफ तक की सुविधा नहीं दी गई और न ही उसे किसी दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया।
मजबूरी में शाहजहांन को वहां से घर लाना पड़ा। परिजन ने बताया कि अस्पताल वालों ने उनसे कहा कि वे मरीज को सफदरगंज अस्पताल में लेकर जाए, वहां उनकी बात हो गई। इसलिए वे मरीज को वहां लेकर गए, लेकिन उसे एडमिट नहीं किया गया। इसके अलावा उन्होंने एम्स अस्पताल के भी चक्कर काटे, लेकिन यहां भी मायूसी हाथ लगी। परिजन का आरोप है कि अस्पताल की लापरवाही की वजह से मरीज की मौत हो गई है। हालांकि लोक नायक हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ.जेसी पासे ने इस बारे में किसी तरह की जानकारी मिलने से इंकार किया। उन्होंने बताया कि अस्पताल में पहले से करीब जो 800 मरीज थे उन्हें दो हफ्ते पहले ही डिस्चार्ज कर दिया गया था। क्योंकि हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों (Covid-19 Center) का इलाज होना है। दूसरे रोंगों के मरीज जिनकी हालत क्रिटिकल थी उन्हें दूसरे अस्पतालों में भर्ती करा दिया गया है।