लेकिन इस बीच एक रिपोर्ट ने देश में कोरोना को लेकर चिंता और बढ़ा दी है। दरअसल एक अध्ययन ( Research ) में ये खुलासा हुआ है कि देश में कोरोना वायरस की वजह से कैंसर ( Cancer ) का खतरा बढ़ सकता है।
कोरोना संकट के बीच दिल्ली में हुई 24 हजार मौत, लेकिन सामने आई कोई और वजह बदलती जीवन शैली ने कैंसर जैसी घातक बीमारी को बढ़ाने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और दक्षिण कोरिया जैसे देश कैंसर से लड़ने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं, लेकिन भारत और फिलीपींस जैसे देश अब भी इस बीमारी से पूरी तरह लड़ने में सक्षम नहीं है। इस बीच कोरोना वायरस के चलते भारत में कैंसर का खतरा बढ़ने को लेकर एक अध्ययन सामने आया है। इसने सभी की चिंता बढ़ा दी है।
यह रिपोर्ट इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट द्वारा तैयार की गई है। ईआईयू ने कैंसर के मामलों को लेकर एक मिनी सुनामी की चेतावनी दी है, क्योंकि कोरोनो वायरस कम होने के बाद मरीज अस्पतालों का दौरा करने में सुरक्षित महसूस करते हैं।
कोरोना वायरस के डर से कैंसर के रोगियों ने अस्पतालों में इलाज कराने से परहेज किया है। यहां तक कि अस्पतालों ने कोविड-19 मामलों को ठीक करने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में कैंसर के इलाज में कोताही बरती है।
10 एशियाई देशों पर रिसर्च
रिपोर्ट में 45 संकेतकों का इस्तेमाल किया गया है। इनमें 10 एशिया-प्रशांत देशों की तैयारियों को मापा गया और हर देश के लिए एक स्कोरकार्ड बनाया गया। इसमें 100 अंक सबसे अधिक तैयार देश को दिए गए।
ऑस्ट्रेलिया में स्थिति बेहतर
ऑस्ट्रेलिया को 92.4 स्कोर मिला और वह टॉप पर है, इसके बाद दक्षिण कोरिया 83.4 और मलेशिया 80.3 का स्थान रहा। तीनों में कठोर टीकाकरण कार्यक्रम चालू किया है, जिसमें हेपेटाइटिस बी जो लीवर कैंसर से जुड़ा है और एचपीवी जो गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का कारण बन सकता है। रैंकिंग से संकेत मिलता है कि उपरोक्त तीनों देशों ने मृत्यु दर को कम रखने में कामयाबी हासिल की है।
ये देश राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग मामलों की जानकारी जुटाने में आक्रामक हैं, ताकि नीति निर्माता समस्या के पैमाने को समझ सकें और प्रभावी प्रतिक्रियाएं तैयार कर सकें। ईआईयू का सुझाव है कि सरकार स्वास्थ्य देखभाल लागत को सब्सिडी देकर कम आय वाले समूहों का समर्थन कर सकती हैं।
आपको बता दें कि हाल में एक और अध्ययन सामने आया था जिसमें ये बात कही गई थी कि कैंसर के मरीजों में कोरोना संक्रमण होने पर मौत का खतरा बढ़ जाता है।
सुशांत सिंह राजपूत केस में आया नया मोड़, बीजेपी के दिग्गज नेता ने उठाया बड़ा कदम, अब लोग कर रहे तारीफ इंग्लैंड में अलग-अलग कैंसर के ऐसे 800 मरीजों पर रिसर्च की गई जो कोरोना से जूझ रहे थे। इनमें मौत की दर 28 फीसदी तक देखी गई है। लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक अन्य शोध के मुताबिक, 928 कैंसर के मरीजों में कोविड-19 का संक्रमण होने पर उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। इनमें से 13 फीसदी मरीजों की मौत हो गई। यह आंकड़ा कोरोना से हो रही सामान्य लोगों की मौत की दर से ज्यादा है।