दरअसल केंद्र सरकार ( Central Government ) की फंडिंग वाली सेंट्रल स्पॉन्सर्ड स्कीमों के तहत 6:4 का अनुपात तय किया गया है। इसके तहत केंद्र सरकार 60 फीसदी हिस्सा देती है, जबकि राज्य सरकारें ( State Governments ) 40 फीसदी रकम अपनी ओर से खर्च करती हैं। लेकिन कोरोना के संकट के चलते राज्यों की स्थिति खराब है। कई राज्यों का कहना है कि उनकी स्थिति इन योजनाओं की फंडिंग करने की नहीं है।
Delhi Police की विदेशी जमातियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, 83 के खिलाफ साकेत कोर्ट में चार्जशीट दाखिल जानकारी के मुताबिक राज्य सरकारों के इस रुख का असर यह होगा कि पीएम ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, स्वच्छ भारत अभियान, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन, नेशनल हेल्थ मिशन, नेशनल एजुकेशन मिशन, इंटीग्रेटेड चाइल्स डिवेलपमेंट सर्विस, मिड डे मील योजना और स्मार्ट सिटी योजना स्कीमों का काम ठप हो सकता है।
नियम के मुताबिक सेंट्रल स्पॉन्सर्ड स्कीमों के तहत केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए पैसों को राज्यों की ओर से तब तक इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। जब तक वे अपना हिस्सा उसमें नहीं डालते। कई राज्यों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि उनकी ओर से रकम डाले बगैर भी आवंटित हिस्से का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए।
Coronavirus : भारत में पिछले 24 घंटे में करीब 7000 नए मामले आए सामने, 150 की मौत लेकिन वित्त मंत्रालय ( Finannce Ministry ) की ओर से नियमों से अलग हटकर इस तरह की मंजूरी मिल पाना मुश्किल है। व्यय सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा कि राज्यों की ओर से खर्च में ढीलाई की मांग पर अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। यदि केंद्र सरकार की ओर से जारी फंड को खर्च नहीं किया गया तो फिर अगली किस्तों को जारी नहीं किया जाएगा।
बता दें कि लॉकडाउन ( Lockdown ) की वजह से राज्य सरकारों का टैक्स कलेक्शन ( Tax Collection ) 80 फीसदी तक कम हो गया है। मई में भी यही हालात बने हुए हैं।