दरअसल, सवाल यह उठ रहा है कि देश में कोरोना वायरस की ज्यादा जांच नहीं हो रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब केन्द्र सरकार यूएस और इटली के तरह वायरस टेस्टिंग पर काम कर रही है। इन देशों में कोरोना का असर भारत की तुलना में कई गुना ज्यादा है, लेकिन वहां भी कोरोना वायरस की जांच संक्रमण प्रभावित इलाकों में सबसे ज्यादा की गई। इसी मॉडल के तहत केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दूसरे सप्तह में कोरोना हॉटस्पॉट इलाकों में जांच का दायरा बढ़ाया। सरकार ने 1 से 7 अप्रैल के बीच तीन गुना रफ्तार से कोविड जांच कराई है। इस पूरे सप्ताह में प्रति 100 सैंपल में पॉजीटिव मरीज औसतन 2.3 से 5.7 फीसदी यानी करीब छह फीसदी मिले हैं।
देश में 25 मार्च से 21 दिनों के लिए लॉकडाउन किया गया है। उस दौरान विदेशों से आने वाले या उनसे संपर्क में आने वालों की ही जांच देश भर की सरकारी और प्राइवेट लैब में चल रही थी। फिलहाल सरकार ने विदेशों से आने वाले और उनसे संपर्क में आने वालों के अलावा जिन स्थानों पर सबसे ज्यादा संक्रमित मरीज मिल रहे हैं वहां सभी लोगों की स्क्रीनिंग, जांच और घर-घर सर्वे तक कुछ राज्यों में कराया जा रहा है। ICMR के मुख्य महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर रमन आर गंगखेड़कर का कहना है कि अब तक देश में 1 लाख 21 हजार 271 टेस्ट किए जा चुके हैं। मंगलवार को देश में 13,345 लोगों की कोरोना जांच की है, जिसमें से 2,267 सैंपल की जांच निजी लैब में हुई है। देश में आईसीएमआर के तहत आने वाली 139 सरकारी लैब और 65 प्राइवेट लैब में कोरोना वायरस की जांच चल रही है। यहां आपको बता दें कि लॉकडाउन के पहले हफ्ते में करीब 22 हजार लोगों की जांच की गई थी। रिपोर्ट में यह भी कहा है कि जांच बढ़ते ही मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है।