दरअसल, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में औसतन 12 लाख स्कूलों में करीब 12 करोड़ बच्चे मिड डे मील ले रहे हैं। लेकिन स्कूलों के बंद हो जाने के बाद से इन बच्चों के मिड—डे मील को लेकर सरकारें कोई निर्णय नहीं ले सकी हैं। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर इन बच्चों को कैसे मिड—डे मील मुहैया कराया जाए। इसी को स्वसंज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने सभी राज्य सरकारों को नोटिस कर समाधान पूछा है।
आंगनबाड़ियों का क्या होगा
दरअसल, स्कूल ऐसे जरूरतमंद बच्चों को मिड—डे मील के सहारे स्कूल तक लाते थे, जो भोजन की तलाश में बाल मजदूरी का शिकार होते थे या फिर भोजन तलाशने के लिए स्कूल छोड़ देते थे। स्कूलों के साथ राज्य सरकारों ने आंगनबाड़ियों के संचालन पर भी रोक लगा दी है। इन आंगनबाड़ियों के जिम्मे शहरी और ग्रामीण इलाकों में बच्चों को कुपोषण से बचाने का जिम्मा है। यह आंगनबाड़ियां गर्भवती महिलाओं से लेकर छोटे बच्चों के पोषणआहार तक के लिए काम करती हैं। लेकिन इनके भी बंद हो जाने से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर इन बच्चों और गर्भवतियों की देखरेख कैसे होगी।
दरअसल, स्कूल ऐसे जरूरतमंद बच्चों को मिड—डे मील के सहारे स्कूल तक लाते थे, जो भोजन की तलाश में बाल मजदूरी का शिकार होते थे या फिर भोजन तलाशने के लिए स्कूल छोड़ देते थे। स्कूलों के साथ राज्य सरकारों ने आंगनबाड़ियों के संचालन पर भी रोक लगा दी है। इन आंगनबाड़ियों के जिम्मे शहरी और ग्रामीण इलाकों में बच्चों को कुपोषण से बचाने का जिम्मा है। यह आंगनबाड़ियां गर्भवती महिलाओं से लेकर छोटे बच्चों के पोषणआहार तक के लिए काम करती हैं। लेकिन इनके भी बंद हो जाने से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर इन बच्चों और गर्भवतियों की देखरेख कैसे होगी।
अब तक 152 मामले
कोरोना संदिग्ध मामलों की बात करें तो देश में अब तक 152 मामले सामने आ चुके हैं। इसके चलते अब तक तीन मौतें हो चुकी हैं, जबकि चौथी मौत को लेकर संशय बना हुआ है। फिलहाल पूरे देश में कोरोना को लेकर भीड़भाड़ से बचने की सलाह दी गई है।
कोरोना संदिग्ध मामलों की बात करें तो देश में अब तक 152 मामले सामने आ चुके हैं। इसके चलते अब तक तीन मौतें हो चुकी हैं, जबकि चौथी मौत को लेकर संशय बना हुआ है। फिलहाल पूरे देश में कोरोना को लेकर भीड़भाड़ से बचने की सलाह दी गई है।