दावा : एक समुदाय के लोगों को #Covid-19 के बहाने जबरन क्वारनटीन में रखा जा रहा जो वास्तव में डिटेंशन केंद्र हैं।
वास्तविकता : ये दावा झूठा है, ऐसी खबरों का उद्देश्य समाज में केवल भेदभाव पैदा करना।
क्या है वायरल मैसेज ?
व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि एक समुदाय के लोगों को कोरोना वायरस के बहाने जबरन क्वारनटीन किया जा रहा हैऔर डिटेंशन केंद्र में रखा जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि केवल एक ही समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।
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वायरल मैसेज की क्या है सच्चाई?
पत्रिका फैक्ट चेक टीम ने जब गूगल पर इससे संबंधित की वर्ड्स की पड़ताल की तो मालूम चला कि वायरल वीडियो की सच्चाई से कोई लेना देना नहीं है। सोशल मीडिया पर कुछ शरारती तत्वों द्वारा इस तरह से वीडियो तैयार कर वायरल किया जा रहा है, ताकि समाज में भ्रम और भेदभाव का माहौल उत्पन्न हो और अशांति का वातावरण निर्मित हो। पत्रिका अपने पाठकों और दर्शकों से अपील करता है कि इस तरह के मैसेज पर ध्यान नहीं दें।
PIB ने वीडियो को गलत बताया
वहीं प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो ने भी वायरल वीडियो को गलत करार दिया है। पीआईबी ने बताया कि ये दावा झूठा है, ऐसी खबरों का उद्देश्य समाज में केवल भेदभाव पैदा करना है। PIB ने लोगों से अपील की है कि मनगढंत वीडियो और अफवाहों पर कतई विश्वास ना करें।