विदेश मंत्रालय के नए प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ( Anurag Shrivastav ) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पहले हमारी प्राथमिकता ये है कि जरूरत की दवाइयों का देश में भरपूर स्टॉक हो, ताकि अपने लोगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके। इसी के चलते कई दवाइयों पर कुछ समय के लिए निर्यात पर रोक लगाई थी, लेकिन लगातार नए हालात को देखते हुए सरकार ने 14 दवाइयों से निर्यात की रोक हटा दी है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि देश के अलावा जहां सबसे ज्यादा जरूरत होगी वहां इस दवा का सप्लाई किया जाएगा।
विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत को पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का ध्यान इसलिए भी रखना है, क्योंकि कुछ पड़ोसी देश पूरी तरह से हम पर निर्भर हैं। ऐसे में उन्हें इन दवाई की इजाजत दी गई है। साथ ही जरूरत की दवाइयों की सप्लाई उन देशों को जरूर की जाएगी, जहां कोरोना वायरस की वजह से हालात ज्यादा खराब हैं। ऐसे में इस स्थिति को राजनीतिक रूप देना सही नहीं है। मंत्रालय का यह भी कहना है कि इस महासंकट के समय में हम उम्मीद करते हैं कि दुनिया एक साथ होकर लड़ेगी।
गौरतलब है कि अमरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि भारत ने अमेरिका के साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया है और मैं समझता हूं कि इस बात के कोई कारण नहीं हैं कि भारत अमेरिकी दवा के ऑर्डर पर से बैन नहीं हटाएगा। उन्होंने कहा कि मैंने यह कहीं नहीं सुना कि यह पीएम मोदी का फैसला था। मैं जानता हूं कि उन्होंने इस दवा को अन्य देशों के निर्यात के लिए रोक लगाई है। मैंने उनसे बात की थी। हमारी बातचीत बहुत अच्छी रही। भारत ने अमरिका के साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया है।
ट्रंप ने कहा कि जब मेरी पीएम मोदी से बात हुई थी तो उन्होंने कहा था कि इस दवा को अमरिका को देने पर विचार करेंगे। अगर वह दवा को अमेरिका को देने की अनुमति नहीं देते हैं, तो ठीक है लेकिन निश्चित रूप से जवाबी कार्रवाई हो सकती है और क्यों ऐसा नहीं होना चाहिए?’ ट्रंप के इस बयान से साफ स्पष्ट है कि अगर भारत अमरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन नहीं देता है तो वहां से जवाबी कार्रवाई हो सकती है। गौरतलब है कि मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन बेहद कारगर दवा है और भारतीय कंपनी सबसे ज्यादा इसका उत्पादन करती है।