scriptकोर्ट ने खारिज की आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की पुलिस रिमांड, सीआइडी ने की थी मांग | Court rejects CID's plea to take IPS Officer Sanjeev Bhatt on remand | Patrika News

कोर्ट ने खारिज की आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की पुलिस रिमांड, सीआइडी ने की थी मांग

locationनई दिल्लीPublished: Sep 07, 2018 03:53:26 pm

पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भट्ट को गिरफ्तार किया था और उसके बाद बुधवार को पालनपुर पुलिस थाने के इंस्पेक्टर आईबी व्यास को गिरफ्तार किया।

IPS

कोर्ट ने खारिज की आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की पुलिस रिमांड, सीआइडी ने की थी मांग

पालनपुर। आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को रिमांड में लेने की गुजरात पुलिस की मांग यहां की एक अदालत ने गुरुवार को खारिज कर दिया है। उन्हें 22 वर्ष पुराने एक मामले में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भट्ट को गिरफ्तार किया था और उसके बाद बुधवार को पालनपुर पुलिस थाने के इंस्पेक्टर आईबी व्यास को गिरफ्तार किया।
…ऐसे खारिज हुई सीआईडी की मांग

याचिका पर बहस करते हुए बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि मामला दो दशक पुराना है और इससे संबंधित याचिका सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। दंडाधिकारी ने बहस को स्वीकार कर लिया और सीआईडी (क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट) की मांग खारिज कर दी। अदालत ने दोनों अभियुक्तों को पालनपुर न्यायिक हिरासत में उप-जेल भेज दिया। जब यह कथित घटना 1996 में हुई थी तब भट्ट बनासकांठा के पुलिस अधीक्षक थे।
वकील को गलत तरीके से फंसाने से शुरू हुआ मामला

जानकारी के अनुसार, बनासकांठा पुलिस ने एक किलोग्राम अफीम रखने के आरोप में एक वकील सुमेरसिंह राजपुरोहित को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने दावा किया था कि यह मादक पदार्थ पालनपुर में राजपुरोहित के होटल के कमरे में पाया गया था। लेकिन बाद में हुई एक जांच से पता चला कि राजपुरोहित पर दबाव बनाने के लिए उसे पुलिस द्वारा गलत तरीके से फंसाया गया था, ताकि वह राजस्थान के पाली में अपनी विवादास्पद संपत्ति को खाली कर दे।
गुजरात दंगों को लेकर कर चुके हैं मोदी की आलोचना

इस संबंध में शिकायत के आधार पर गुजरात उच्च न्यायालय ने जून में इस मामले को सीआईडी को सौंप दिया था और तीन महीने में जांच पूरी करने के लिए कहा था। सीआईडी के अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि आईपीएस अधिकारी और अन्य ने कथित रूप से मादक पदार्थ रखकर राजपुरोहित को गिरफ्तार करने की साजिश रची थी। ताकि वह इस दबाव के बाद विवादास्पद संपत्ति खाली कर दे। 2002 के गुजरात दंगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले भट्ट को अगस्त 2015 में सेवा से ‘अनधिकृत रूप से अनुपस्थित’ रहने के लिए हटा दिया गया था।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो