डीसीजीआई ( DGCI ) ने भारत में कोरोना वायरस संक्रमण ( Coronavirus infection ) की संभावित वैक्सीन के फेज 1 और फेज 2 के ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल ( Human Clinical Trials ) के लिए फार्मा कंपनी जाइडस कैडिला को मंजूरी दी है। इससे पहले हैदराबाद की भारत बायोटेक ( Bharat Biotech of Hyderabad ) की को कोरोना वैक्सिन बनाने की परियोजना को मंजूरी मिल चुकी है।
Jammu-Kashmir : श्रीनगर मुठभेड़ में एक आतंकी ढेर, CRPF का 1 जवान शहीद और 1 घायल देश की दूसरी कंपनी बनी जाइडस कैडिला डीसीजीआई से तैयार वक्सीन का इंसानों पर परीक्षण करने के लिए अनुमति हासिल करने वाली जाइडस कैडिला देश की दूसरी कंपनी बन गई है।
बता दें कि भारत दुनिया भर में वैक्सीन और दवा निर्माण के क्षेत्र में अग्रणी देश है। वहीं विश्व में इस समय कोरोना वायरस की करीब 17 वैक्सीन का टेस्ट इंसानों पर चल रहा है। इसी क्रम में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ( ICMR ) ने देश के पहले स्वदेशी कोविड-19 ( Covid-19 ) टीके के क्लीनिकल ट्रायल के लिए 12 संस्थानों का चयन किया है।
जानवरों पर ट्रायल रहा सफल जानकारी के मुताबिक देश में तेजी से बढ़ रही Covid-19 महामारी को देखते हुए विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के बाद अप्रूवल प्रक्रिया को तेज कर दी गई है। जाइडस कैडिला ( Zydus Cadila ) का दावा है कि उसकी इस वैक्सीन जानवरों पर किए गए ट्रॉयल में कारगर साबित हुई है।
इससे पहले जाइडस कैडिला ने जानवरों पर किए गए परीक्षणों की रिपोर्ट ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को सौंपी थी, जिसके अध्ययन के बाद डीजीसीआई ( DCGI ) ने वैक्सीन के मानव परीक्षण के पहले और दूसरे चरण की मंजूरी दी है।
जानकारी के मुताबिक जाइडस कैडिला जल्द ही इंसानों पर वैक्सीन के ट्रायल के लिए एनरॉलमेंट शुरू करेगी। पहले और दूसरे चरण के ट्रॉयल को लगभग 3 महीनों में पूरा कर लिया जाएगा। हाल ही में भारत की अग्रणी वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ने एलान किया था कि उसने कोरोना पर प्रभावी वैक्सीन ‘कोवाक्सिन’ ( COVAXIN ) बना ली है। भारत बायोटेक को भी मानव परीक्षण के पहले और दूसरे चरण के इंसानी ट्रायल को मंजूरी दे दी गई है।
भारत बायोटेक ने कहा था कि उसने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आइसीएमआर और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV ) के साथ मिलकर इसे तैयार किया है। दूसरी तरफ अमरीकी फार्मा कंपनी फाइजर और यूरोपीय जैव प्रौद्योगिकी कंपनी बायोएनटेक एसई ने कोविड-19 के एक टीके का प्रायोगिक परीक्षण किया है जिसके नतीजे में टीके को सुरक्षित और मरीजों में एंटीबॉडी बनाने में सक्षम पाया गया।
इस केस में विशेषज्ञों द्वारा अध्ययन की समीक्षा किया जाना अभी बाकी है। अध्ययन के अनुसार मरीजों को टीके की दो खुराक दिए जाने के बाद उनके भीतर बनने वाले एंटीबॉडी की संख्या उन मरीजों में पैदा हुए एंटीबाडी से अधिक पाई गई जिन्हें कोविड-19 ( Covid-19 ) से ठीक हो चुके लोगों का प्लाज्मा दिया गया था।