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भारत में हैरतअंगेज सर्जरी, लिवर ट्रांसप्लांट में गाय की नसों का इस्तेमाल

locationनई दिल्लीPublished: Jan 09, 2020 03:34:53 pm

Submitted by:

Kaushlendra Pathak

हरियाणा ( Haryana ) के गुरुग्राम ( Gurugram ) में दुनिया का अनोखा लिवर सर्जरी
लिवर सर्जरी ( liver surgery ) में गाय की नसों का इस्तेमाल किया गया ह

Cow veins Use in Liver Transplant

ट्रांसप्लांट में गाय की नसों का इस्तेमाल किया गया है।

नई दिल्ली। आज तक आपने कई चमत्कार देखें और सुने होंगे। लेकिन, अब ऐसा चमत्कार हुआ है जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की होगी। क्योंकि, ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी इंसान के शरीरी में जानवर ( Animal ) की नसें ( veins ) लगाई गई है और उस कारण उसे नई जिंदगी भी मिली है। जी हां, सही सुना आपने। हरियाणा ( Haryana ) के गुरुग्राम ( Gurugram ) में ऐसा लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है, जिसमें गाय ( Cow ) की नसों का उपयोग किया गया है।
दरअसल, साऊदी अरब की एक साल की बच्ची हूर का हरियाणा के गुरुग्राम में लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है। 14 घंटे तक उसका ऑपरेशन चला। ऑपरेशन पूरी तरह से सफल रहा और हूर पूरी तरह से स्वस्थ है। उसे हॉस्पिटल से छुट्टी भी दे दी गई है। बताया जा रहा है कि एक साल की हूर की पित्त नालिकाओं के विकसित न होने की वजह से लिवर में समस्या हो गई। इसके बाद सऊदी अरब के डॉक्टरों बच्ची को इलाज के लिए भारत भेजा। बच्ची को गुरुग्राम के एक अस्पताल लाया गया। यहीं पर उसका लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। बच्ची के नए लिवर तक खून पहुंचे इसके लिए उसके शरीर में गाय की नसें डाली गई हैं।
बच्ची का इलाज करने वाले डॉ. गिरिराज बोरा ने कहा कि सऊदी के डॉक्टरों ने बच्ची को बिलियरी एट्रेसिया नाम की बीमारी से ग्रसित पाया। यह बीमारी 16 हजार में से एक को होती है। ऐसे बच्चों में बाइल डक्ट्स ( पित्त वाहिका ) का विकास नहीं होता। बच्ची का वजन 5.2 किलो था। ऐसे में ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया बेहद जटिल होती है। लिवर ट्रांसप्लांट करने वाले डॉक्टरों की माने तो दिल्ली-NCR में ये ऐसा पहला ऑपरेशन था, जो इतने कम उम्र की बच्ची के साथ किया गया। इतना ही नहीं यह दुनिया का पहला लिवर ट्रांसप्लांट है जिसमें नए लिवर तक खून पहुंचाने के लिए गाय की नसों का उपयोग किया गया है। डॉक्टर ने बताया कि गाय की नसों को विदेश मंगाया गया। इसके बाद उसका ऑपरेशन हुआ, जो 14 घंटे तक चला। लड़की के पिता का कहना है कि यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। हूर के पिता अहमद ने बताया कि मैं हमेशा भारत और इसके डॉक्टर्स का शुक्रगुजार रहूंगा। फिलहाल, बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है और अपने वतन लौट चुकी है।
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