किसी सतह को संक्रमण फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों से मुक्त करने में सक्षम है मशीन।
दूसरी मशीनों के मुकबाले बेहद छोटे-समान द्रव कणों का छिड़काव करने में प्रभावी।
इनडोर-आउटडोर दोनों जगह सैनिटाइजेशन के लिए इस्तेमाल किया जाना संभव।
आवेशित कणों पर आधारित मशीन, संक्रमित सतह से कोरोना वायरस हटाने में कारगर।
नई दिल्ली। भारतीय वैज्ञानिकों के हाथ एक बड़ी सफलता लगी है। केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी मशीन ईजाद की है, जो कोरोना वायरस को चुन-चुन कर मारेगी। इसका नाम इलेक्ट्रोस्टैटिक डिसइंफेक्शन मशीन है। इस मशीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) को इसकी तकनीक सौंपी गई है।
किसी भी दवा के छिड़काव में सक्षम यह इलेक्ट्रोस्टैटिक डिसइंफेक्शन मशीन, बेहद छोटे द्रव कणों का छिड़काव कर सकती है जो आवेशित (चार्ज्ड) होते हैं। इसके इस्तेमाल से संक्रमण फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों से किसी सतह को मुक्त किया जा सकता है। इसमें किसी भी दवा का उपयोग छिड़काव के लिए किया जा सकता है। मशीन से 10-20 माइक्रोन आकार के सूक्ष्म द्रव कणों का छिड़काव कर सकते हैं। बाजार में मिलने वाली इस तरह की दूसरी मशीनें आमतौर पर 40-50 माइक्रोन आकार के द्रव कणों का छिड़काव कर पाती हैं।
BIG NEWS: कोरोना वायरस को लेकर ICMR का सबसे बड़ा खुलासा, तो क्या बेकार हो गई सारी तैयारी किसी भी सतह पर मार भगाती है वायरस सीएसआईओ के वैज्ञानिक डॉ मनोज पटेल ने बताया, “मशीन से निकलने वाले द्रव कणों के प्रवाह की दर 110 मिलीलीटर प्रति मिनट है। हालांकि, इसकी प्रवाह दर में बदलाव भी किया जा सकता है। दूसरी मशीनों के मुकबाले यह मशीन बेहद छोटे और समान आकार के द्रव कणों का छिड़काव करने में प्रभावी पाई गई है। छिड़काव के दौरान मशीन से निकलने वाले द्रव कणों से सतह पर किसी वायरस या संक्रमण के बचे रहने की संभावना लगभग न के बराबर रह जाती है।”
दोगुनी सतह कर सकती है कवर इस मशीन को मुख्य रूप से अस्पतालों, एयरपोर्ट, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जैसे सार्वजनिक स्थलों की सफाई के लिए बनाया गया था। लेकिन, इसका उपयोग अब कोविड-19 के संक्रमण को दूर करने में भी किया जा सकता है। मशीन सतह को पूरी तरह कवर कर सकती है और इसमें दवा का उपयोग भी लगभग आधा हो सकता है।
हर जगह के लिए मुफीद डॉ. पटेल ने बताया, “इस मशीन का उपयोग इनडोर-आउटडोर दोनों जगह सैनिटाइजेशन के लिए किया जा सकता है। यह पर्यावरण के अनुकूल है और इसका असर हानिकारक सूक्ष्मजीवों पर सामान्य से 80 प्रतिशत अधिक हो सकता है। यह तकनीक आवेशित कणों पर आधारित है और कोविड-19 से संक्रमित सतह से वायरस को हटाने में कारगर हो सकती है।”
BIG NEWS: आज कैबिनेट बैठक में पीएम मोदी ने की लॉकडाउन के खत्म होने पर चर्चा, 14 अप्रैल को होना है खत्मबीएचईएल करेगा निर्माण चंडीगढ़ स्थित सीएसआईओ वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की एक प्रमुख वैज्ञानिक प्रयोगशाला है। कोविड-19 से निपटने के अपने प्रयासों को तेज करने के लिए सीएसआईआर ने हाल में बीएचईएल के अलावा दवा निर्माता कंपनी सिप्ला और साफ्टवेयर जगत की कंपनी टीसीएस की लाइफ साइंस विंग के साथ करार किया है। इस मशीन का उत्पादन हरिद्वार स्थित बीएचईएल की प्रमुख विनिर्माण इकाई में किया जाएगा।
कितनी है कीमत इस मशीन को सीएसआईआर मिशन-मोड प्रोग्राम ऑन फूड ऐंड कंज्यूमर सेफ्टी सॉल्यूशन (फोकस) के तहत विकसित किया गया है। यह मशीन करीब 50 हजार रुपये की लागत से विकसित की गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बीएचईएल में बड़े पैमाने पर इस मशीन का उत्पादन किया जाएगा तो इसकी लागत और भी कम हो सकती है।