अलग गरबा, अलग गीत
अहमदाबाद के रामपुर गांव में अंबेडकर गरबा के आयोजक कनू सुमसेरा मंगलभाई का दावा है कि गुजरात में पहली बार इस तरह का अंबेडकर गरबा हुआ है। वे कहते हैं हमारे समाज में लोगों को लगता था कि देवी-देवता उन्हें बर्बाद कर देंगे। अंबेडकर गरबे में हिन्दी फिल्म जय संतोषी मां के भजन के आधार पर ही अंबेडकर भजन तैयार किय गया है। इसके बोल हैं मैं तो आरती उतारूं रे अंबेडकर साहिब की…।
अहमदाबाद के रामपुर गांव में अंबेडकर गरबा के आयोजक कनू सुमसेरा मंगलभाई का दावा है कि गुजरात में पहली बार इस तरह का अंबेडकर गरबा हुआ है। वे कहते हैं हमारे समाज में लोगों को लगता था कि देवी-देवता उन्हें बर्बाद कर देंगे। अंबेडकर गरबे में हिन्दी फिल्म जय संतोषी मां के भजन के आधार पर ही अंबेडकर भजन तैयार किय गया है। इसके बोल हैं मैं तो आरती उतारूं रे अंबेडकर साहिब की…।
गांव के लोग कहते थे पागल
मंगलभाई कहते हैं अंबेडकर गरबा तैयार करना बेहद मुश्किल था। गांव में बहुत से सवर्ण भी रहते हैं। मंगलभाई कहते हैं, जब मैंने अंबेडकर गरबा का आइडिया दिया तो गांववालों ने मुझे कहा कि मैं पागल हो गया हूं। कुछ ने मुझसे कहा कि नवरात्रि में देवी की पूजा होती है और उनका अपमान करने से हम बर्बाद हो जाएंगे। मैंने उन्हें समझाया कि देवी के लिए सब समान हैं लेकिन हमारे गांव के सवर्ण हमें नवरात्रि गरबा नहीं करने देते, इसलिए अंबेडकर गरबा जरूरी है। 38 साल के मंगलभाई शादियों और जन्मदिन पार्टियों में सजावट इत्यादि का कारोबार करते हैं। वे बताते हैं कि अंबेडकर गरबा अलग है, क्योंकि उसमें उसमें गाए जाने वाले गीतों में अंबेडकर की शिक्षाओं और मूल्यों का बखान है। अंबेडकर गरबा के गीत दलित सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत चौहान और दशरत साल्वी ने लिखे हैं।
मंगलभाई कहते हैं अंबेडकर गरबा तैयार करना बेहद मुश्किल था। गांव में बहुत से सवर्ण भी रहते हैं। मंगलभाई कहते हैं, जब मैंने अंबेडकर गरबा का आइडिया दिया तो गांववालों ने मुझे कहा कि मैं पागल हो गया हूं। कुछ ने मुझसे कहा कि नवरात्रि में देवी की पूजा होती है और उनका अपमान करने से हम बर्बाद हो जाएंगे। मैंने उन्हें समझाया कि देवी के लिए सब समान हैं लेकिन हमारे गांव के सवर्ण हमें नवरात्रि गरबा नहीं करने देते, इसलिए अंबेडकर गरबा जरूरी है। 38 साल के मंगलभाई शादियों और जन्मदिन पार्टियों में सजावट इत्यादि का कारोबार करते हैं। वे बताते हैं कि अंबेडकर गरबा अलग है, क्योंकि उसमें उसमें गाए जाने वाले गीतों में अंबेडकर की शिक्षाओं और मूल्यों का बखान है। अंबेडकर गरबा के गीत दलित सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत चौहान और दशरत साल्वी ने लिखे हैं।