कुछ देर बाद काफी कोशिशों के बाद दरवाज़ा तोड़ दिया गया। लेकिन अफसोस कोशिश करने वाले सभी फेल हो गए। क्योंकि तब तक संजय इस दुनिया को अलविदा कह चुके थे। पत्नी ने अपना पति खो दिया था और बेटों ने अपना बाप खो दिया था। रोते-धोते उन्होंने पुलिस को फोन पर पूरी घटना की सूचना दी। जानकारी के मुताबिक संजय घर में ऊपरी मंज़िल पर सोते थे। जबकि उनकी पत्नी और बेटा नीचे वाले फ्लोर पर सोते थे। संजय के कुल तीन बेटे हैं। सबसे बड़ा बेटा दिल्ली में पढ़ाई करता है, बीच वाला बेटा रांची में है और छोटा बेटा उन्हीं के साथ रहता था। संजय डीसी कार्यालय में
काम करते थे, उन्हें गोपनीय विभाग में नियुक्त किया गया था।
परिवार से पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि संजय पर ऑफिस के काम का बहुत बोझ रहता था। संजय के बेटे ने पुलिस को बताया कि उनके पिता दफ्तर के अत्यधिक काम से काफी परेशान रहते थे और कहते थे कि वो सुसाइड कर लेंगे। कई बार तो ऐसा भी होता था कि घर पहुंचने के बाद भी उन्हें रात-बिरात फोन करके ऑफिस बुला लिया जाता था।