scriptवायु प्रदूषण से प्रत्येक 8 में एक व्यक्ति की मौत, औसत उम्र 1.7 वर्ष घटी | Death of one person in every 8 to air pollution, average age is 1.7 years reduce of a man | Patrika News

वायु प्रदूषण से प्रत्येक 8 में एक व्यक्ति की मौत, औसत उम्र 1.7 वर्ष घटी

locationनई दिल्लीPublished: Dec 06, 2018 03:43:00 pm

Submitted by:

Anil Kumar

‘दी लैन्सेट प्लेनैट्री हेल्थ’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के अलग-अलग राज्यों में वायु प्रदूषण की स्थिति क्या है और जिससे लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रही है।

वायु प्रदूषण से प्रत्येक 8 में एक व्यक्ति की मौत, औसत उम्र 1.7 वर्ष घटी

वायु प्रदूषण से प्रत्येक 8 में एक की व्यक्ति की मौत, औसत उम्र 1.7 वर्ष घटी

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर लगातार चिंताएं बढ़ती चली जी रही हैं। हालांकि अब वायु प्रदूषण की समस्या केवल दिल्ली तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव पूरे देश और दुनिया भर में देखने को मिल रहा है। विश्व के कई ऐसे शहर हैं जहां प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर को भी पार कर गया है और जिससे हर वर्ष हजारों लोगों की मौत हो रही है। वायु प्रदूषण के कारण लोगों को बहुत सारी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इसका सीधा असर लोगों के जीवनशैली पर देखा जा सकता है और इसके कारण लोगों की औसत आयु करीब 1.7 वर्ष घट गई है। बता दें कि वायु प्रदूषण के संबंध में ‘दी लैन्सेट प्लेनैट्री हेल्थ’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के अलग-अलग राज्यों में वायु प्रदूषण की स्थिति क्या है और इससे लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रही है। इसके अलावा यह भी बताई गई है कि लोगों के जीवन की औसत उम्र कितनी घट गई है।

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2017 में 12.4 लाख लोगों की हुई मौत

आपको बता दें कि रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या का 18 प्रतिशत है लेकिन उसके अनुपात में देखें तो वायु प्रदूषण कहीं ज्यादा 26 प्रतिशत है। 2017 में भारत में वायु प्रदूषण के कारण 12.4 लाख लोगों की मौत हो गई जो कि 70 वर्ष से कम उम्र के थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि भारत में वायु प्रदूषण का स्तर न्यूतम होता तो लोगों के औसत उम्र 1.7 वर्ष बढ़ जाएगी। बता दें कि रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व में भारत एक ऐसा देश हैं जहां PM2·5 का लेवल हर वर्ष विश्व स्तर पर सबसे ज्यादा होता है। 2017 में की रिपोर्ट में यह देखा गया कि भारत का एक भी ऐसा राज्य नहीं था जहां पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक से 10 μg/m³, 45 से कम हो और भारत की 77 प्रतिशत जनसंख्या PM2·5 जो कि भारत के राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों से भी ज्यादा 40 μg/m³ है, प्रदूषित वायु कणों का सामना करती है।

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इन राज्यों में सबसे है सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के कुछ राज्यों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब है। उत्तर भारतीय राज्यों में दोनों (घरेलू वायु प्रदूषण और परिवेश कण पदार्थ) सबसे ज्यादा मिलते हैं जिसमें बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश राजस्थान शामिल हैं। जबकि उत्तर भारत के ही कुछ राज्यों (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब) में परिवेश कण पदार्थ सबसे ज्यादा मिलते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में भारत के 15 में से 14 शहरों में वायु प्रदूषण की हालत बहुत ही खराब है। हालांकि विश्व के कई देशों ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए बहुत ही सकारात्मक काम किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की राजधानी दिल्ली व अन्य शहरों की अपेक्षा मेक्सिको सिटी और बीजिंग में वायु प्रदूषण को बढ़ने से रोकने के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं। मेक्सिको और चीन में एक वायु प्रदूषण को रोकने के लिए दीर्घकालिक प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें स्वच्छ उर्जा,उत्सर्जन-नियंत्रण प्रौद्योगिकियों में सुधार, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, उर्जा के खपत को कम करना, पर्यावरण शिक्षा और रिसर्च को बढावा देना आदि शामिल है।

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