अभी स्थिति: 18 साल के हर नागरिक को अधिकार
सं सदीय लोकतंत्र में वोट देने का अधिकार अभी कानूनी अधिकार है। संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत सिर्फ 18 साल से ऊपर वालों के लिए वयस्क मताधिकार का प्रावधान है। कानून द्वारा प्रदत्त अधिकार है। इसी तरह चुनाव लडऩे का भी अधिकार है।
जस्टिस नरीमन ने ये दिया तर्क
जस्टिस नरीमन ने कहा कि संपत्ति के अधिकार को कानूनी अधिकार बनाए जाने से आम आदमी, खास तौर पर निचले तबके के लोगों को व्यापक रूप से कानूनी तौर पर नुकसान होता है, इसलिए इनके अधिकारों को संरक्षण दिया जाना चाहिए। ऐसे में संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाना चाहिए।
कानूनी और मौलिक अधिकार में क्या अंतर
कानूनी अधिकार को कभी भी सामान्य कानून बनाकर बदला जा सकता है, जबकि मौलिक अधिकार संविधान की गारंटी है और नागरिकों को हक देता है कि इसे लागू कराने के लिए वह सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं। इन अधिकारों में कटौती केवल संवैधानिक संशोधन से तार्किक आधार पर ही संभव है।
हो रहा था दुरुपयोग
वोट देने और चुनाव लडऩे का अधिकार कानूनी अधिकार हैं। कुछ राज्यों ने इसे कमजोर करने की कोशिश की है। जैसे पंचायत चुनाव के लिए उम्मीदवार के घर में टॉयलेट होना जरूरी बनाना आदि। संपत्ति के अधिकार को कानूनी अधिकार बनाने पर सरकार ने कहा था कि कृषि सुधारों के लिए ऐसा करना जरूरी है।