scriptसंपत्ति और वोट को मौलिक अधिकार बनाने पर छिड़ी बहस | Debate over property and vote making fundamental rights | Patrika News

संपत्ति और वोट को मौलिक अधिकार बनाने पर छिड़ी बहस

Published: Aug 08, 2017 08:42:00 am

Submitted by:

ashutosh tiwari

दो जजों ने संपत्ति और वोट के अधिकारों को मूल अधिकार बनाए जाने को लेकर वकालत की है।

supreme court

Supreme Court

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में संपत्ति और वोट देने के अधिकार को मूल अधिकार बनाए जाने की नई बहस छिड़ गई है। दरअसल, दो जजों ने इन दोनों अधिकारों को मूल अधिकार बनाए जाने को लेकर वकालत की है। बीते हफ्ते आधार के संदर्भ में नागरिकों को निजता के अधिकार को मौलिक आधार माना जाए या नहीं इसकी सुनवाई के दौरान नौ जजों की पीठ के समक्ष यह मामला उठाया गया। कार्यवाही के दौरान कम से कम दो जजों ने कहा कि क्यों न वोट देने के अधिकार और संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित कर दिया जाए। जस्टिस आरएफ नरीमन ने कहा कि संपत्ति के अधिकार को फिर से मौलिक अधिकार बनाया जाए। अभी संपत्ति का अधिकार महज एक कानूनी अधिकार है। वहीं जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि वोट देने के हक को मौलिक अधिकार बनाया जाए।

अभी स्थिति: 18 साल के हर नागरिक को अधिकार
सं सदीय लोकतंत्र में वोट देने का अधिकार अभी कानूनी अधिकार है। संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत सिर्फ 18 साल से ऊपर वालों के लिए वयस्क मताधिकार का प्रावधान है। कानून द्वारा प्रदत्त अधिकार है। इसी तरह चुनाव लडऩे का भी अधिकार है।

जस्टिस नरीमन ने ये दिया तर्क
जस्टिस नरीमन ने कहा कि संपत्ति के अधिकार को कानूनी अधिकार बनाए जाने से आम आदमी, खास तौर पर निचले तबके के लोगों को व्यापक रूप से कानूनी तौर पर नुकसान होता है, इसलिए इनके अधिकारों को संरक्षण दिया जाना चाहिए। ऐसे में संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाना चाहिए।

कानूनी और मौलिक अधिकार में क्या अंतर
कानूनी अधिकार को कभी भी सामान्य कानून बनाकर बदला जा सकता है, जबकि मौलिक अधिकार संविधान की गारंटी है और नागरिकों को हक देता है कि इसे लागू कराने के लिए वह सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं। इन अधिकारों में कटौती केवल संवैधानिक संशोधन से तार्किक आधार पर ही संभव है।

हो रहा था दुरुपयोग
वोट देने और चुनाव लडऩे का अधिकार कानूनी अधिकार हैं। कुछ राज्यों ने इसे कमजोर करने की कोशिश की है। जैसे पंचायत चुनाव के लिए उम्मीदवार के घर में टॉयलेट होना जरूरी बनाना आदि। संपत्ति के अधिकार को कानूनी अधिकार बनाने पर सरकार ने कहा था कि कृषि सुधारों के लिए ऐसा करना जरूरी है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो