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रक्षा बजट में गड़बड़ी रोकने वाले अधिकारी पर ही लगा पति की कंपनी को लाभ पहुंचाने का आरोप

locationनई दिल्लीPublished: Dec 03, 2017 12:11:35 pm

Submitted by:

ashutosh tiwari

वीना प्रसाद पर अपने पति मेजर जनरल (रिटायर्ड) वीएन प्रसाद की जानकारी मंत्रालय से जानबूझकर छुपाने का आरोप है।

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अनुराग मिश्रा/ नई दिल्ली. रक्षा बजट के इस्तेमाल में किसी किस्म की गड़बड़ी रोकने के लिए जिम्मेदार कंट्रोलर जनरल ऑफ डिफेंस अकाउंट (सीजीडीए) वीना प्रसाद पर पद के दुरुपयोग का गंभीर आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को एक पत्र मिला है। सीजीडीए पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डायरेक्टर जनरल रि-सेटलमेंट (डीजीआर) के जरिये पति की कंपनी को कोल इंडिया लिमिटेड से ठेका दिलाने का आरोप है। इसके अलावा अपने पति के काम से संबंधित जानकारी छुपाने सहित कई अन्य गंभीर आरोप लगाते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की केंद्र सरकार की नीति पर सवाल खड़े किए गए हैं। विडंबना यह है कि पीएमओ ने इस पत्र को कार्रवाई के लिए उसी डीजीआर को भेज दिया है जो आरोपी के अधीन है।
सोलापुर (महाराष्ट्र) के पूर्व सांसद डीएम सादुल (कांग्रेस) का पत्र पीएमओ को 06 नवंबर-17 को प्राप्त हुआ है। इस मामले में सीजीडीए ने अपनी सफाई दी है। सीजीडीए प्रसाद से जब पूछा गया कि डीजीआर आपके अधीन आता है, इसलिए जब आपके पति का मामला सामने आया तो आपने क्या कार्रवाई की तो उनका कहना था कि मेरे अधीन कई विभाग आते हैं, मैं किसी दूसरे के काम में हस्तक्षेप नहीं करती।
पत्र में वीना प्रसाद पर अपने पति मेजर जनरल (रिटायर्ड) वीएन प्रसाद की यह जानकारी मंत्रालय से जानबूझकर छुपाने का आरोप है कि वह 31 मार्च-14 को सेना से रिटायर होने के बाद एक निजी कंपनी लार्सन एंड ट्यूब्रो (एलएंडटी) में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर काम कर रहे थे और ऐसा करते हुए उन्होंने अवैध तरीके से सेना की रि-सेटलमेंट पॉलिसी का लाभ लिया। इसके लिए वीएन प्रसाद ने एक झूठा हलफनामा दिया जिसपर सीजीडीए वीना प्रसाद का फोटो और पता दर्ज है। उन्होंने ‘फार्म- 26 एएस’ भी दाखिल नहीं किया. जिसे देना अनिवार्य था। हालांकि डीजीआर द्वारा फार्म दाखिल करने का दबाव बनाने पर वह हाईकोर्ट जरूर गए, जहां 10 जुलाई-17 को उनकी याचिका खारिज हो गई।
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आरोप क्यों हैं गंभीर?
1. सीजीडीए वीना प्रसाद के पति मेजर जनरल वीएन प्रसाद अवकाशप्राप्त करने के बाद वाइस प्रेसिडेंट के रूप में जिस एलएंडटी कंपनी में नियुक्त हुए उसे बड़े-बड़े डिफेंस प्रोजेक्ट का काम मिलता है। कंपनी के साथ रक्षा मंत्रालय की वित्तीय लेन-देन पर निगरानी की जिम्मेदारी सीजीडीए की है। आखिर इस कंपनी ने सीजीडीए प्रसाद के पति वीएन प्रसाद को ही इस पद के लिए क्यों चुना? क्या यह हितों के टकराव का मामला नहीं है?
2. सीजीडीए के पति ने सेवानिवृत सैन्यकर्मियों के लिए बनाई गई योजना का लाभ लेने के लिए यदि झूठा हलफनामा दिया तो इसपर सीजीडीए की निगाह क्यों नहीं पड़ी जबकि, हलफनामे पर पति-पत्नी दोनों की फोटो के साथ पता भी है? यदि आरोप सच हैं तो क्या सीजीडीए ने अपने पति की गड़बड़ी की अनदेखी की?
सीजीडीए की सफाई
सीजीडीए प्रसाद ने पत्रिका को सफाई दी कि ‘मेरा रास्ता पति से अलग है। हम दोनों एक-दूसरे के काम में हस्तक्षेप नहीं करते। मैं अपने बच्चों के लिए भी कभी किसी से सिफारिश नहीं करती। रक्षा मंत्रालय के कुछ अधिकारी मेरे खिलाफ साजिश कर रहे हैं।Ó
डीजीआर ने भेजा नोटिस
डीजीआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रिका को बताया कि मेजर जनरल (रिटायर्ड) वीएन प्रसाद को शो-कॉज नोटिस भेजा गया है। सेना में कार्रवाई की एक निश्चित प्रक्रिया होती है, जिसका पालन किया जा रहा है।

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