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रक्षा मंत्रालय का बड़ा फैसला, निजी कंपनियों को हाईटेक मिसाइलें बनाने की मंजूरी

locationनई दिल्लीPublished: Oct 21, 2019 10:55:50 pm

रक्षा मंत्रालय का स्वदेशी तकनीक से सैन्य उपकरण बनाने पर जोर।
3,300 करोड़ रुपये के तीन प्रोजेक्टों को किया पास।
एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, ईडब्लू समेत एपीयू है इनमें शामिल।

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नई दिल्ली। जल्द ही भारतीय सेना दुश्मनों के टैंकों को पलक झपकते ही नष्ट कर देगी। सोमवार को रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए 3,300 करोड़ रुपये से ज्यादा के रक्षा उपकरणों की खरीदारी को मंजूरी दे दी, जिसमें मेड इन इंडिया एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें शामिल हैं। ऐसा पहली बार है जब रक्षा मंत्रालय सैन्य उपकरणों को डिजाइन, डेवलप और मैन्यूफैक्चर करने के लिए देश की निजी कंपनियों को काम सौंपेगा।
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने तीन प्रोजेक्ट को भारत में निजी कंपनियों द्वारा डिजाइन, डेवलप और मैन्युफैक्चर करने की अनुमति दे दी। भारत में निजी कंपनियां इन प्रोजेक्ट का निर्माण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की महात्वाकांक्षी परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ के तहत करेंगी।
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इन स्वीकृत प्रोजेक्ट्स में तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें (एटीजीएम), T-72 व T-90 टैंकों के लिए ऑग्जिलरी पावर यूनिट्स (एपीयू) शामिल हैं। जबकि तीसरा प्रोजेक्ट पर्वतों और काफी ऊंचाई वाले इलाकों के लिए डिस्क्रीट इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्लू) सिस्टम बनाने का है।
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इस संबंध में सरकार ने बताया कि ईडब्लू सिस्टम को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन और डेवलप किया जाएगा। जबकि इसका डिजाइन और प्रोडक्शन कोई भारतीय उद्योग करके इसका निर्माण करेगा।
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जबकि तीसरी पीढ़ी के एटीजीएम ऐसे होंगे जो ‘दागो और भूलो (फायर एंड फॉरगेट)’ के साथ बख्तरबंद लड़ाई के दौरान सैनिकों की टुकड़ी को ‘टॉप अटैक’ की क्षमता प्रदान करेंगे। वहीं, एपीयू के जरिये टैंकों के फायर कंट्रोल सिस्टम और रात में लड़ने की क्षमता में तमाम अपग्रेड्स होंगे।
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इस संबंध में जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, “दोनों प्रोजेक्ट ‘मेक-टू’ कैटेगरी के अंतर्गत विकसित होंगे और यह निजी क्षेत्रों में स्वदेशी शोध एवं विकास को बढ़ावा देंगे।”

विज्ञप्ति में यह भी बताया गया है कि ऐसा पहली बार होगा जब देश में निजी उद्योगों द्वारा काफी जटिल सैन्य उपकरणों को डिजाइन, डेवलप और मैन्यूफैक्चर किया जाएगा।
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इससे पहले पिछले माह परिषद ने दुश्मनों की बख्तरबंद टुकड़ी को नष्ट करने के लिए भारतीय सेना की क्षमता बढ़ाने वाले T-72/T-90 टैंकों के लिए विशेष आयुध वाले स्वदेशी निर्माण के लिए करीब 2,000 करोड़ की राशि के प्रस्ताव को स्वीकृति दी थी।

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