दिल्ली सरकार ने इस महीने की शुरुआत में इस मामले में एक दोषी की ओर से दायर की गई दया याचिका को खारिज करने की पुरजोर सिफारिश की थी। गौरतलब है कि 16 दिसंबर, 2012 की शाम दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर एक खाली प्राइवेट बस में अपने दोस्त के साथ चढ़ी 23 वर्षीय पैरा मेडिकल छात्रा के साथ छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया और क्रूरता की सारी हदें पार करने के बाद उसे और उसके दोस्त को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया था।
पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, उसके बाद बेहतर इलाज के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने उसे सिंगापुर भेजा था। वारदात के तेरहवें दिन पीड़िता ने दम तोड़ दिया। इस मामले में सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। उनमें से एक नाबालिग था और एक आरोपी ने तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली। अब बाकी बचे चार दोषियों को फांसी दी जानी है, जिसकी तैयारी चल रही है।