विविध भारत

निर्भया की मां का दर्द, फांसी सुना दी जाती है लेकिन होती नहीं

निर्भया की मां का Exclusive Interview
‘मेरी बच्ची को मुझ से छीन लिया गया’
‘आज भी हम 2012 में ही खड़े हैं’

नई दिल्लीMar 08, 2020 / 07:15 pm

Shivani Singh

नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप केस ( Nirbhaya gang rape case ) को आठ साल हो चुके हैं। लेकिन निर्भया की मां आज भी खुद को वहीं पाती हैं। एक पत्रिका की एक्सलूसिव इंटरव्यू ( Nirbhaya’s mother Exclusive Interview ) में निर्भया की मां आशा देवी ( Nirbhaya’s mother Asha Devi ) कहती हैं- ‘आज भी हम 2012 में ही खड़े हैं। घटना के बाद लोग सडक़ पर आए थे। मांग की गई थी कि निर्भया के मुजरिमों को फांसी मिले। कानून बदला गया। लेकिन आज भी इसका कोई असर नहीं। कानून लागू ही नहीं किया गया। फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामला चला। निचली कोर्ट से फांसी हो गई। हाई कोर्ट से फांसी हो गई। सुप्रीम कोर्ट से 2017 में फांसी का आदेश आ गया लेकिन आज भी चारों जिंदा हैं। आज भी हम कोर्ट कचहरी के चक्कर काट रहे हैं। हमने अपनी अपनी कमाई से, अपनी जेब से केस पर खर्चा किया। … इससे पहले कभी कोर्ट कचहरी का मुंह तक नहीं देखा था।’

‘मुझे इस बात का अहसास तक नहीं था कि मेरी बच्ची को मुझसे इस तरह से छीन लिया जाएगा। घटना के ठीक बाद मेरा मुंह सूख गया था और मुझे लग रहा था कि मेरे पास आवाज नहीं है। जब मीडिया मुझसे बात करने आया तो समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोलूं। लेकिन अब कोई मुश्किल नहीं होती। कौन है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।’

‘मैं इस केस को 7 साल 3 महीने से लड़ रही हूं। अपराध करने वालों के मानवाधिकार की बात की जाती है। मेरा भी तो कोई अधिकार है। निर्भया का भी मानवाधिकार है। मैं उस दिन को याद करती हूं। रविवार का दिन था। आमतौर पर बच्चों की छुट्टी थी। बेटी देहरादून से फाइनल परीक्षा देने आई थी। शाम 4 बजे यह कहकर निकली थी कि मम्मी मैं 2 तीन घंटे में आ रही हूं। काफी देर हो गई तो पिता खोजने गए। हमें रात सवा 11 बजे कॉल आई कि अस्पताल आइए। आपकी बच्ची के साथ दुर्घटना हो गई है। अस्पताल पहुंचे। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची का खून बंद नहीं हो रहा है। उनकी सर्जरी ओपन थी। हर दूसरे-तीसरे दिन दोबारा तिबारा ऑपरेशन हुआ। जिस दिन ऑपरेशान हुआ। डॉक्टर ने कहा 20 साल के जीवन में कभी ऐसा केस मेरे पास नहीं आया। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि जो 22 फुट की आंत होती है वो एक फुट भी साबूत नहीं है। 12-13 दिन गुजर गए। निर्भया चली गई…।’

विरोधी पक्ष के वकील और रिश्तेदारों ने काफी कुछ बोला… मुझे ऐसा लगता कि अपराध मैंने ही किया है। फांसी सुना दी जाती है लेकिन होतीनहीं। अब चौथी बार डेथ वारंट जारी हुआ है।

(धीरज कन्नौजिया से हुई बातचीत पर आधारित)

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