माँ बनना किसी महिला के जीवन की सबसे स्वाभाविक घटना: कोर्ट
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि महिलाएँ हमारे समाज की आधी जनसंख्या हैं और अपनी रोज़ी रोटी कमाने के लिए जहाँ वह रोज़गार करती हैं उस कार्यस्थल पर उनके साथ मर्यादापूर्ण और समानता का व्यवहार होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि मां बनना किसी महिला के लिए जीवन की सबसे स्वाभाविक घटना है। इसलिए नियोक्ता को महिला कर्मचारी के प्रति साहनुभूति रखनी चाहिए और जितना हो सके सहयोग करना चाहिए।
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कोर्ट ने दिए ये आदेश
बता दें कि अदालत के हस्तक्षेप के बाद योगिता को अप्रैल में यह पत्र तो मिल गया, लेकिन उसमें कहा गया था कि उन्हें हिन्दी में पीजीटी के मेहनमान शिक्षक के रूप में भविष्य में नियुक्ति पद ख़ाली होने पर दी जाएगी और उन्हें वह स्वस्थ हैं इस बात का चिकित्सा प्रमाणपत्र देना होगा। इसपर योगिता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ता योगिता चौहान की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि विभाग ने उन्हें शायद यह समझकर नियुक्ति नहीं दी है कि जब ज़रूरत होगी, वह काम नहीं कर पाएंगी। कोर्ट ने आगे कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आवेदनकर्ता मेहमान शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए उपयुक्त हैं, इसलिए प्रतिवादी याचिकाकर्ता को पैनल में जगह दे। कोर्ट ने आगे कहा कि नियोक्ता को गर्भवती कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए।
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क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि याचिकाकर्ता योगिता चौहान ने अप्रैल 2018 में एनसीटी दिल्ली के शिक्षा निदेशालय के एक आदेश कोर्ट में चुनौती दी थी। अपनी याचिका में चौहान ने कहा था कि बीते वर्ष मई में दिल्ली सरकार के स्कूलों के लिए अकामि वर्ष 2017-18 के लिए मेहमान शिक्षकों का एक पैनल बनाने के लिए नोटिस जारी किया गया था। इसमें उसका नाम भी शामिल था। अक्टूबर में जब उसे चुना गया तब वह गर्भवती थी। उसके बाद जनवरी 2018 में ऑपरेशन के जरिए उनके बच्चे का जन्म हुआ। इसी बीच फिर से सत्यापन के लिए सभी उम्मीदवारों को बुलाया गया। वह ऑपरेशन होने के बावजूद भी उपस्थित हुईं। लेकिन जब वह कार्यालय पहुंची तो साथी कर्मचारियों और अधिकारियों ने उनसे दुर्व्यवहार किया। साथ ही उनकी हाजिरी भी दर्ज नहीं की गई। इसके बाद उन्होंने कई बार पत्राचार किया लेकिन नौकरी में बहाली का पत्र नहीं मिला।
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