scriptदिल्ली HC का ऐतिहासिक फैसला, गर्भवती कर्मचारियों के साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया रखा जाना चाहिए | Delhi HC's historic decision, A sympathetic attitude should be maintained with the pregnant woman staff | Patrika News

दिल्ली HC का ऐतिहासिक फैसला, गर्भवती कर्मचारियों के साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया रखा जाना चाहिए

locationनई दिल्लीPublished: Dec 17, 2018 05:46:42 pm

Submitted by:

Anil Kumar

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि महिलाएँ हमारे समाज की आधी जनसंख्या हैं और अपनी रोज़ी रोटी कमाने के लिए जहाँ वह रोज़गार करती हैं उस कार्यस्थल पर उनके साथ मर्यादापूर्ण और समानता का व्यवहार होना चाहिए।

दिल्ली HC का ऐतिहासिक फैसला, गर्भवती कर्मचारियों के साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया रखा जाना चाहिए

दिल्ली HC का ऐतिहासिक फैसला, गर्भवती कर्मचारियों के साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया रखी जानी चाहिए

नई दिल्ली। कार्यस्थल पर महिलाओं का सम्मान हो और वे गर्व से काम कर सकें इसके लिए सरकार और कई समाजिक संगठनों की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी महिलाओं को ऑफिस या अन्य कार्यस्थलों पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। महिलाओं के लिए सबसे बड़ी दिक्कत तब होती है जब वह मां बनने वाली होती है। सरकारी ऑफिस हो या निजी कंपनी, गर्भवती महिलाओं का काम करना बहुत ही कठिन होता है। हालांकि सरकारी नौकरी में गर्भवती महिलाओं को 6 महीने के लिए मातृत्व अवकाश मिल जाता है लेकिन निजी कंपनियों में यह बहुत ही मुश्किल होता है। महिलाओं को अपनी नौकरी गंवानी पड़ती है और कभी-कभी तो दुर्भावना का शिकार भी होना पड़ता है। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक अहम और ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि महिलाओं का आदर होना चाहिए और कार्यस्थल पर उनके साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार होना चाहिए। कोर्ट ने जोर देते हुए कहा कि गर्भवती कर्मचारियों के साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया रखी जानी चाहिए।

माँ बनना किसी महिला के जीवन की सबसे स्वाभाविक घटना: कोर्ट

बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि महिलाएँ हमारे समाज की आधी जनसंख्या हैं और अपनी रोज़ी रोटी कमाने के लिए जहाँ वह रोज़गार करती हैं उस कार्यस्थल पर उनके साथ मर्यादापूर्ण और समानता का व्यवहार होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि मां बनना किसी महिला के लिए जीवन की सबसे स्वाभाविक घटना है। इसलिए नियोक्ता को महिला कर्मचारी के प्रति साहनुभूति रखनी चाहिए और जितना हो सके सहयोग करना चाहिए।

1984 सिख विरोधी दंगा: इस चश्मदीद की गवाही ने सज्जन कुमार को दिलाई उम्रकैद की सजा

कोर्ट ने दिए ये आदेश

बता दें कि अदालत के हस्तक्षेप के बाद योगिता को अप्रैल में यह पत्र तो मिल गया, लेकिन उसमें कहा गया था कि उन्हें हिन्दी में पीजीटी के मेहनमान शिक्षक के रूप में भविष्य में नियुक्ति पद ख़ाली होने पर दी जाएगी और उन्हें वह स्वस्थ हैं इस बात का चिकित्सा प्रमाणपत्र देना होगा। इसपर योगिता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ता योगिता चौहान की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि विभाग ने उन्हें शायद यह समझकर नियुक्ति नहीं दी है कि जब ज़रूरत होगी, वह काम नहीं कर पाएंगी। कोर्ट ने आगे कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आवेदनकर्ता मेहमान शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए उपयुक्त हैं, इसलिए प्रतिवादी याचिकाकर्ता को पैनल में जगह दे। कोर्ट ने आगे कहा कि नियोक्ता को गर्भवती कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए।

दिल्ली के निजी स्कूलों पर अभिभावकों की भारी भरकम राशि बकाया, जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

क्या है पूरा मामला

आपको बता दें कि याचिकाकर्ता योगिता चौहान ने अप्रैल 2018 में एनसीटी दिल्ली के शिक्षा निदेशालय के एक आदेश कोर्ट में चुनौती दी थी। अपनी याचिका में चौहान ने कहा था कि बीते वर्ष मई में दिल्ली सरकार के स्कूलों के लिए अकामि वर्ष 2017-18 के लिए मेहमान शिक्षकों का एक पैनल बनाने के लिए नोटिस जारी किया गया था। इसमें उसका नाम भी शामिल था। अक्टूबर में जब उसे चुना गया तब वह गर्भवती थी। उसके बाद जनवरी 2018 में ऑपरेशन के जरिए उनके बच्चे का जन्म हुआ। इसी बीच फिर से सत्यापन के लिए सभी उम्मीदवारों को बुलाया गया। वह ऑपरेशन होने के बावजूद भी उपस्थित हुईं। लेकिन जब वह कार्यालय पहुंची तो साथी कर्मचारियों और अधिकारियों ने उनसे दुर्व्यवहार किया। साथ ही उनकी हाजिरी भी दर्ज नहीं की गई। इसके बाद उन्होंने कई बार पत्राचार किया लेकिन नौकरी में बहाली का पत्र नहीं मिला।

Read the Latest India news hindi on Patrika.com. पढ़ें सबसे पहले India news पत्रिका डॉट कॉम पर.

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो