डर्मेटोलॉजिस्ट ने लगाई थी याचिका
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वीके राव की बेंच ने बुधवार को आदेश दिया की इंटरनेट के जरिए बेची जा रहीं दवाइयों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दी जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली की आप सरकार को निर्देश दिया कि वे जल्द से जल्द इस आदेश को लागू करें। कोर्ट ने यह फैसला दिल्ली के एक डर्मेटॉलजिस्ट जहीर अहमद की पीआईएल की सुनवाई के दौरान दिया।
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वीके राव की बेंच ने बुधवार को आदेश दिया की इंटरनेट के जरिए बेची जा रहीं दवाइयों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दी जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली की आप सरकार को निर्देश दिया कि वे जल्द से जल्द इस आदेश को लागू करें। कोर्ट ने यह फैसला दिल्ली के एक डर्मेटॉलजिस्ट जहीर अहमद की पीआईएल की सुनवाई के दौरान दिया।
जहीर ने ये दिया तर्क
कोर्ट में दिल्ली के डर्मेटोलॉजिस्ट जहीर अहमद की अपील पर सुनवाई चल रही थी। जहीर अहमद ने तर्क दिया कि बिना डॉक्टरों की संतुति और विनियमन के लाखों दवाएं रोजाना इंटरनेट पर बेची जा रही हैं, जिनसे मरीजों के जीवन के साथ चिकित्सकों की साख पर खतरा है।
कोर्ट में दिल्ली के डर्मेटोलॉजिस्ट जहीर अहमद की अपील पर सुनवाई चल रही थी। जहीर अहमद ने तर्क दिया कि बिना डॉक्टरों की संतुति और विनियमन के लाखों दवाएं रोजाना इंटरनेट पर बेची जा रही हैं, जिनसे मरीजों के जीवन के साथ चिकित्सकों की साख पर खतरा है।
डॉक्टरों के लिए भी परेशानी खड़ी हो गई है। पीआईएल के माध्यम से याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री के संबंध में कानून भी इसकी इजाजत नहीं देता है। यह ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट, 1940 और फार्मेसी एक्ट, 1948 के बिल्कुल खिलाफ है।
इस अपील में यह भी उल्लेख किया गया था कि भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने 2015 में सभी राज्यों को ड्रग कंट्रोलर को ऑनलाइन दवा की बिक्री के दौरान जनता के स्वास्थ्य के हित को ध्यान में रखने के निर्देश दिए थे।
याचिका में रखी गई ये बातें
– सरकार की मंशा पर भी सवाल, ऑनलाइन बिक्री पर नहीं उठाया ठोस कदम
– ऑनलाइन दवा-विक्रेता बिना लाइसेंस के दवाइयां बेच रहे हैं।
– कई दवाइयों का सेवन बिना डॉक्टरी परामर्श के नहीं हो सकता
– प्रतिबंधित दवाईयां आसानी से उपलब्ध
– सरकार की मंशा पर भी सवाल, ऑनलाइन बिक्री पर नहीं उठाया ठोस कदम
– ऑनलाइन दवा-विक्रेता बिना लाइसेंस के दवाइयां बेच रहे हैं।
– कई दवाइयों का सेवन बिना डॉक्टरी परामर्श के नहीं हो सकता
– प्रतिबंधित दवाईयां आसानी से उपलब्ध
सितंबर में सरकार ये ड्राफ्ट किया था तैयार
आपको बता दें कि सितंबर में केंद्र सकार ने ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री को लेकर जागी थी। ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री से संबंधित नियम का ड्राफ्ट तैयार किया था। इसके मुताबिक दवाइयों की बिक्री रजिस्टर्ड ई-फॉर्मेसी पोर्टल के जरिए ही की जा सकती है।
आपको बता दें कि सितंबर में केंद्र सकार ने ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री को लेकर जागी थी। ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री से संबंधित नियम का ड्राफ्ट तैयार किया था। इसके मुताबिक दवाइयों की बिक्री रजिस्टर्ड ई-फॉर्मेसी पोर्टल के जरिए ही की जा सकती है।
780 अरब रुपए का कारोबार
दरअसल ऑनलाइन कंपनियों का बड़ा बाजार होने के चलते तकरीबन सभी बड़ी कंपनियों की नजर इस पर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में दवा बाजार तकरीबन 780 अरब रुपये से ज्यादा का है। ऐसे में तमाम ऑनलाइन कंपनियां इस पर भी कब्जा जमाने में जुटी हैं। वहीं, दूसरी तरफ इस कदम से स्टोर वाले दवा-विक्रेताओं की मुश्किलें बढ़ी हैं। पिछले कई सालों से दवा-विक्रेताओं का समूह ऑनलाइन सेल के खिलाफ प्रदर्शन और हड़तालें कर चुका है।
दरअसल ऑनलाइन कंपनियों का बड़ा बाजार होने के चलते तकरीबन सभी बड़ी कंपनियों की नजर इस पर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में दवा बाजार तकरीबन 780 अरब रुपये से ज्यादा का है। ऐसे में तमाम ऑनलाइन कंपनियां इस पर भी कब्जा जमाने में जुटी हैं। वहीं, दूसरी तरफ इस कदम से स्टोर वाले दवा-विक्रेताओं की मुश्किलें बढ़ी हैं। पिछले कई सालों से दवा-विक्रेताओं का समूह ऑनलाइन सेल के खिलाफ प्रदर्शन और हड़तालें कर चुका है।