कई राज्यों में एक साथ पुलिस की दबिश
न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर की एकल पीठ ने हालांकि पुलिस को निर्देश दिया कि नौलखा को दिल्ली से बाहर न ले जाया जाए और अगले आदेश तक उन्हें उनके घर में नजरबंद रखा जाए। पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई बुधवार को तय कर दी। पांच महीनों में दूसरी बार पुणे पुलिस ने देशभर में नक्सलियों के हमदर्दोेे के यहां मंगलवार को छापा मारा और कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। ये छापे महाराष्ट्र, गोवा, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, दिल्ली और हरियाणा में मारे गए। इन कार्यकर्ताओं के तमाम समर्थकों ने विभिन्न स्थानों पर पुलिस छापे के दौरान विरोध प्रदर्शन किया।
पुणे पुलिस ने मारा था छापा
इससे पहले 17 अप्रैल को भी इस तरह के छापे पड़े थे। उस समय पुणे पुलिस ने आधा दर्जन से अधिक दलित कार्यकर्ताओं और उन लोगों के यहां छापा मारा था, जो कबीर कला मंच में शामिल थे, जिसने 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एलगार सम्मेलन आयोजित किया था। सम्मेलन के अगले दिन एक जनवरी को कोरेगांव-भीमा में जातीय दंगा भड़क उठा था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। उसके बाद बी.आर. आंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाले भारिपा बहुजन महासंघ ने महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया था।प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिन कार्यकर्ताओं के यहां छापे मारे गए, उनमें वरवर राव और क्रांति (तेलंगाना), वरनोन गोंसाल्वेस और अरुण परेरा (मुंबई), सुधा भारद्वाज और स्टेन स्वामी (छत्तीसगढ़), गौतम नौलखा (दिल्ली) और आनंद तेलतुबडे (गोवा) शामिल हैं।