8500 MT ऑक्सीजन ही ढो पा रहे हैं AAP द्वारा अपलोड किए गए इस वीडियो में दावा किया गया कि भारत में 1631 क्रायोजेनिक टैंक्स हैं और लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन कैरी करते हैं 8500 मीट्रिक टन। उन्होंने दावा किया कि इन टैंकर्स के पास 23,000 MT ऑक्सीजन को लाने की क्षमता है, जबकि वो सिर्फ 8500 MT ऑक्सीजन ही ढो पा रहे हैं। जाहिर है कुप्रबंधन एक कारक है।
टैंकर्स को राष्ट्र की संपत्ति घोषित करना चाहिए
वीडियो में राघव चड्ढा का कहना है कि “हमारे देश में क्रायोजेनिक टैंकरों की कमी नहीं है। राज्य सरकारों का इन टैंकरों पर पूरा नियंत्रण है। इन क्रायोजेनिक टैंकर्स को राष्ट्र की संपत्ति घोषित करना चाहिए। जिस तरह से केंद्र सरकार राज्यों को ऑक्सीजन दे रही है। उसी तरह ये टैंक्स बांटने चाहिए। उन्होंने वीडियो के अंत में और क्रायोजेनिक टैंक्स की मांग को सामने रखा। इस दौरान कई यूजर्स ने राघव के बयानों पर तंज कसा और तथ्यों से परिचित कराया।
24 घंटे तक का सफर करना पड़ता है एक ट्विटर यूजर ने कहा कि इस ट्वीट के लिए गणितीय गणनाओं हेतु प्रियंका गाँधी की सलाह ली गई थी। उन्होंने समझाया कि कुल टैंकरों में से आधे दोबारा रिफिल होने के लिए जाते हैं। इनमें से कई टैंकरों को अधिक दूरियों की वजह से 24 घंटे तक का सफर करना पड़ता है। समझाया कि 10 टैंकर हैं तो कैसे 5 खाली होकर वापस जाएंगे रिफिल के लिए और 5 फिर डिलीवरी के लिए आएंगे।
आधे टैंकर डिलीवरी देकर रिफिलिंग कर रहे होते हैं एक अन्य ट्विटर यूजर कहा कि अगर घर में 1 ही LPG सिलिंडर है। जब वो खत्म हो जाता है तब ये सिलिंडर बदलने गोदाम जाता है। मगर खाना फिर भी पकता रहता है। आधे क्रायोजेनिक टैंकर जब डिलीवरी दे रहे होते हैं तब आधे टैंकर डिलीवरी देकर रिफिलिंग कर रहे होते हैं। इसके प्रकार से सप्लाई हो पाती है। दिल्ली में बीते कई दिनों से ऑक्सीजन की भारी कमी देखने को मिल रही है। AAP सरकार दोषारोपण में लगी है।