यूजर्स ने दी मिली-जुली प्रतिक्रिया
आपको बता दें कि पत्रिका डॉट कॉम ने पूछा था कि ‘क्या बाबा रामदेव ने बीजेपी को 2014 में समर्थन अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए दिया था?’ इस सवाल पर सोशल मीडिया में सैंकड़ों यूजर्स ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। विश्वराज शर्मा ने लिखा है कि ‘इस रामकृष्ण यादव ने अपने बिज़नेस के लिए अपने गुरु की जमीन हड़प ली और उसे निपटा दिया,, फिर राजीव dixit की हेल्प से बिज़नेस को स्टार्टअप दिया,, और फिर राजीव को भी मरबा दिया।’ हालांकि इसके जबाव पर कई अन्य यूजर्स ने सवाल खड़े किए हैं। वहीं एक अन्य यूजर्स चांद खान ने लिखा ‘देश के बेरोजगार लोग रोजगार खोज रहे हैं, और कुछ लोग बाद में आसानी से जैसा चाहें वैसा लोग को ***** बना रहे हैं।’ फिरोज खान अली ने शायराना अंदाज में लिखा ‘माना कि अर्थशास्त्र पढ लिया है तुमने चाय के पतीले मे।। एक ढंग का मंत्री तो रख लेते अपने जंगली कबीले मे।।’ राघवेंद्र सिंह ने बाबा रामदेव का पक्ष लेते हुए कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा ‘ कांग्रेसियों पहले बाबा रामदेव बन के दिखाईये, आरोप लगाना बहुत आसान है केमिकल खा के तुम्हारा दिमाग भी केमिकल रहित हो गया है इसे शुद्ध करने के लिए बाबा रामदेव के पतंजलि के प्रोडेक्ट इस्तेमाल करिए फिर देखिए दूध का दूध पानी का पानी दिखने लगेगा।’
आपको बता दें कि इसके अलावे अन्य कई यूजर्स ने अपनी राय दी है। राकेश प्रजापति ने लिखा ‘बिलकुल सही कहा जी आपने ने। अगर नही तो वो मुद्दे अब क्यों नही उठाता, जो UPA के रोज़ उठाता था। क्योंकि हालात तो पहले से भी ज्यादा खराब हैं अभी।’ सुरेश कुमार भार्गव ने लिखा ‘जब बाबा ने साधु का चोला पहन लिया है तो वह वयपार क्यों कर रहे है, क्या जनतो को वदनाम करने के लिए शर्म आनी चाहिए ऐसे ढोंगी बाबाओं को?’ अंशुल गुप्ता ने कांग्रेस को कोसते हुए लिखा ‘कांग्रेस की सरकार में रॉबर्ट वाड्रा आया, कांग्रेस ने इतना सपोर्ट की तब किसी को नहीं दिखा, आज वाड्रा इतना बना लिया है कि दिल्ली में डीएलएफ सिटी उसने बना दिया है जो ये नाम उसके कंपनी का ही डीएलएफ कांग्रेस आज भी अंग्रेजों से देश हड़पा रहे हैं, चीन को तो दे ही दिए हैं सब।’ निर्मल सिंह ने लिखा ‘बिजनेस करना कोई बुरी बात नहीं है समर्थन करना अलग चीज है बिजनेस को सारी दुनिया कर रही है कोई किसी चीज का कर रहा है कोई किसी का कर रहा है किसी का चल गया किसी का नहीं चला अभी इसका चल गया इसको जो मर्जी कहो।’ मोहसीन कबीर खान ने लिखा ‘पता करना चाहिए के स्विस बैंकों में जो पैसा बढा है उसमें पतंजलि का कितना योगदान है’। तो प्रशांत पेसिफिक नामक यूजर्स ने लिखा ‘ये पत्रिका की काल्पनिक सोच है 2014 से पहले 2006 से पतंजलि निरंतर तरक्की पर है गांधी जी के बाद पतंजलि है जो स्वदेशी के लिए काम कर रही है।’