नकली प्लास्टर और खून
दरअसल इन बच्चों के टूटे हाथ और पैर, प्लास्टर और उस पर जमा खून नकली पाई गई। जब इन बच्चों को अस्पताल लाया गया तो तो पता चला कि प्लास्टर के नीचे नकली पट्टियां बंधी थी और बच्चे बिल्कुल स्वस्थ थे। जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि आज 3 बच्चों को संरक्षण में लिया गया है । कोशिश किया जाएगा कि इन्हें स्कूल में भर्ती करवाया जाए और आगे भी ऐसे बच्चो को भीख मागने के धंधे से निकाला जाए।
इस तरह हुआ खुलासा
यमुनानगर के रेलवे स्टेशन चोंक के पास रादौर रोड पर दो अलग अलग व्हील चेयर पर अपाहिज हालत में बैठे दो बच्चे दिखाई दिए। इनके साथ एक-एक और बच्चे भी थे जो कि व्हीलचेयर को पकड़े हुए इन अपाहिज बच्चों के लिए भीख मांग रहे थे। ये बच्चे रोजाना बाजार से गुजरते थे। कोई इन्हें खाने को तो कोई कपड़ा दिया करता था। आज भी जब ये बाजार में निकले तो ठंड को देखते हुए वहां मौजूद एक व्यापारी ने इन बच्चों को बुलाया और इन्हें चाय पिलाई और कुछ खाने को दिया। इस दौरान उसने बच्चो से उनके शरीर पर बने जले के निशानों और टूटी हुई टांग के बारे में पूछा और कहा कि सच बताओ में तुम्हे मोबाइल लेकर दूंगा। इस पर बच्चों ने बताया कि ये सब कुछ नकली है। भीख मांगने के लिए उन्होंने ऐसा किया है।
चाचा मंगवाता था भीख
भीख मांगने वाले बच्चों की ये सब सुनकर वो व्यापारी हैरान रह गया। उसने इन बच्चों की सूचना बाल संरक्षण टीम को दी। इसके बाद बाल संरक्षण टीम ने बच्चों को संरक्षण में लिया। जब बच्चों को सिविल अस्पताल लेकर गए और इनके पैरों और टांगो पर चढ़ा प्लास्टर उतारा गया और अच्छी तरह साफ किया गया तो इनके पैर और टांग पर कोई चोट नहीं पाई गई। इन बच्चों ने बताया कि वो यमुना के पास रहते हैं। उनकी दयनीय हालत बनाकर उनका चाचा भीख मंगवाता है। कोई चोट नहीं ये तो मांगने के लिए आटा और रंग लगाया हुआ है।
आरोपी पर होगी सख्त कार्रवाई
इस पूरे मामले पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी रिचा बुद्धिराजा ने बताया कि भीख मांगने वाले 3 बच्चों को संरक्षण में लिया गया है। कोशिश की जाएगी कि इन बच्चो को स्कूल में भर्ती करवाया जाए और भी ऐसे बच्चो भीख के धन्धे से निकालेंगे। इन्हें इस काम मे धकेलने वालो के खिलाफ सख्त से सख्त कारवाई की जाएगी।