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तो क्या अब प्लाज्मा थेरेपी से नहीं बन रही बात, ट्रायल को लेकर ICMR ने दिया ये बयान

Published: Jul 01, 2020 06:06:46 pm

Submitted by:

Soma Roy

Plasma Therapy : देश में कोरोना पेशेंट्स पर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कर ट्रायल किया जा रहा है
कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस वक्त मरीजों में इस थेरेपी से कोई खास सुधार नहीं हुआ है

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– प्लाज्मा वीर…

नई दिल्ली। कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) पर काबू पाने के लिए इसके इलाज पर लगातार काम किया जा रहा है। वैज्ञानिक प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) को इसके लिए कारगर मान रहे थे। शुरू मेंं इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले। मगर हाल ही में कुछ मरीजों पर किए गए इसके ट्रायल ने वैज्ञानिकों को सोचने में मजबूर कर दिया है। दरअसल ट्रायल में इसके परिणाम कुछ खास नहीं मिले। इसलिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) कशमकश में है।
आईसीएमआर से जुड़े सूत्रों के मुताबिक देश में 425 रोगियों पर प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल चल रहा है। इनमें से पहले 300 रोगियों में प्लाज्मा दिया गया। हालांकि इनमें इसका कोई खास असर नहीं दिखाई दिया। इसलिए इस थेरेपी के कारगर साबित होने को लेकर वैज्ञानिक संशाय में है। हालांकि आईसीएमआर ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर कहा कि प्लाज्मा थैरेपी पर उनकी निगरानी में अभी अध्ययन किया जा रहा है। अभी तक इसके परिणाम सामने नहीं आए हैं। इसलिए अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। पूरे परिणाम आने के बाद ही तय होगा कि ये प्रणाली कारगर है या नहीं।
मालूम हो कि इससे पहले दिल्ली सरकार ने लोकनायक अस्पताल में 29 मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी देने और इसके सकारात्मक रिजल्ट मिलने के बारे में बताया था। दिल्ली सरकार के मुताबिक 29 में से सिर्फ एक मरीज मरीज को छोड़ बाकी सभी ठीक हो गए हैं। अप्रैल माह में आईसीएमआर ने प्लाज्मा थैरेपी को लेकर परीक्षण शुरू किए हैं जिसके अभी तक परिणाम नहीं आए हैं।
क्या है प्लाज्मा थेरेपी?
कोरोना से रिकवर हुए मरीजों के ब्लड प्लाज्मा से एंटीबॉडीज को निकालकर दवाई बनाई जाती है। इसका इस्तेमाल कोरोना पेशेंट में होता है। चूंकि रिकवर हुए मरीजों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा मजबूत होती है। इसलिए उनकी एंटीबॉडीज से बनी दवाइयां ज्यादा असरदार साबित हो सकती हैं।
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