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हर प्रेम विवाह को लव जिहाद या घर वापसी की नजर से न देखा जाए- केरल हाईकोर्ट

Published: Oct 20, 2017 03:06:58 pm

Submitted by:

Kapil Tiwari

एक मामले की सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने मुस्लिम युवक और हिंदू लड़की को साथ रहने की अनुमित दे दी है।

Love jihad
कन्नूर: केरल में ‘लव जिहाद’ को लेकर मचे बवाल के बीच हाईकोर्ट का एक अहम बयान आया है। लव जिहाद पर सख्त रूख अपनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि हर प्रेम विवाह ‘लव जिहाद’ नहीं हो सकता। कोर्ट ने ये बात अंतर्जातीय और अन्य धर्म के लोगों के साथ विवाह के मामलों पर सुनवाई करते हुए कही। इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने एक हिंदू युवती और एक मुस्लिम युवक के बीच हुई शादी को बरकरार रखा है।
हमीद और श्रुति की शादी को रखा बरकरार
जस्टिस वी चितंबरेश और जस्टिस सतीश निनान की बेंच ने 25 वर्षीय अनीस हमीद की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया। कन्नूर के रहने वाले हमीद ने अपनी पत्नी श्रुति को उसके परिवार की कस्टडी से रिहा कराने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था। इसके बाद कोर्ट ने अपने आदेश में श्रुति को हमीद के साथ रहने की अनुमति दी और लड़की के परिवार की याचिका खारिज कर दी।
धार्मिक सौहार्द को न बिगाड़ें लोग- हाईकोर्ट
श्रुति और अनीस की शादी को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि हम सचेत करते हैं कि सभी अंतर-धार्मिक विवाह को धार्मिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। हमें इस कारण धार्मिक सौहार्द को नहीं बिगाड़ना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में युवती के परिवार वालों ने इसे ‘लव जेहाद’ करार दिया है। कोर्ट ने कहा, ‘हम राज्य में हर अंतर-धार्मिक विवाह को लव जिहाद या घर वापसी की नजर से देखे जाने के ट्रेंड को देखकर भयभीत हैं। ऐसा तब किया जा रहा है जब पति-पत्नी के बीच शादी से पहले निःस्वार्थ प्रेम रहा हो.’
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि श्रुति ने 16 मई को एक मुस्लिम युवक के साथ अपना घर छोड़ दिया था। इसके बाद परिवार वालों की शिकायत पर पुलिस ने उन्हें हरियाणा के सोनीपत से खोज निकाला था। शुरुआत में निचली अदालत ने युवती को उसके माता-पिता के साथ रहने की अनुमति दी थी। इसके बाद युवती के परिवार वालों ने उसे एक योग केंद्र में भर्ती करवाया, जिससे कि वह मुस्लिम युवक को भूल जाए। इसके बाद युवती ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी और आरोप लगाया कि योग केंद्र में उसे प्रताड़ित किया गया है।
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