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दहेज उत्पीडऩ: सुप्रीम कोर्ट ने बदला फैसला, तुरंत होगी पति और रिश्तेदारों गिरफ्तारी

Published: Sep 14, 2018 03:57:38 pm

Submitted by:

Dhirendra

अदालत ने अपने फैसले में आरोपियों के लिए अग्रिम जमानत का विकल्प खुला रखा है।

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दहेज उत्‍पीड़न मामले में SC ने पहले के फैसले को पलटकर एलएलसी को किया भंग, संसद बनाए कानून

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीडऩ मामले में 2017 में दिए गए दो जजों की बेंच के अपने ही फैसले को पलट दिया है। शुक्रवार को आए शीर्ष कोर्ट के फैसले के मुताबिक अब इस कानून के अंतर्गत पीड़ित महिला की शिकायत पर उसके पति और ससुराल वालों की तुरंत गिरफ्तारी हो सकेगी। इस फैसले से तत्काल गिरफ्तारी पर मिला ‘सुरक्षा कवच’ भी खत्म हो गया है। अब गिरफ्तारी पर फैसला पुलिस को लेना होगा इसमें ‘परिवार कल्याण समिति’ की कोई भूमिका नहीं होगी।
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चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाया। तीन सदस्यीय बेंच ने दो जजों की बेंच के फैसले को बदलते हुए कहा, दहेज उत्पीडऩ के मामले में पीडि़ता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल गिरफ्तारी पर लगी रोक हटाना जरूरी है। बेंच ने कहा, कोर्ट ऐसे आपराधिक मामले की जांच के लिए सिविल कमेटी नियुक्त नहीं कर सकता। ऐसा करना पुलिस और न्याय व्यवस्था के समनांतर एक व्यवस्था बनाने जैसा है, जिसकी इजाजत नहीं दी जा सकती
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अग्रिम जमानत का विकल्प खुला
कोर्ट ने इस मामले में आरोपी पति और उसके रिश्तेदारों के संरक्षण के लिए अग्रिम जमानत के विकल्प को खुला रखा है। कोर्ट ने कहा, यह फैसला इस मामले में पिछले साल दिए गए दिशा-निर्देशों की तरह ही है। कोर्ट ने सभी राज्यों को यह निर्देश भी दिया है कि इस मुद्दे पर पुलिस अफसरों और कर्मचारियों के बीच जागरूकता फैलाएं और कोर्ट के निर्देशों की जानकारी भी दें।
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बीते साल आया था फैसला
27 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की बेंच ने कहा था कि आइपीसी की धारा-498 ए (दहेज प्रताडऩा मामला) में गिरफ्तारी सीधे नहीं होगी। कोर्ट ने कहा, दहेज प्रताडऩा मामले को देखने के लिए हर जिले में परिवार कल्याण समिति बनाई जाए और इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही गिरफ्तारी हो। कोर्ट ने दहेज प्रताडऩा मामले में कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए लीगल सर्विस अथॉरिटी से हर जिले में परिवार कल्याण समिति का गठन करने को कहा था। इसमें सिविल सोसायटी के लोगों को भी शामिल करने का निर्देश था।
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विवाहित महिला के संरक्षण का कानून
विवाहित महिलाओं के खिलाफ हिंसा की प्रमुख वजहों में से एक दहेज भी है। 498-ए में पति या उसके रिश्तेदारों के ऐसे बर्तावों को शामिल किया गया है जो किसी महिला को मानसिक या शारीरिक नुकसान पहुंचाने या उसे आत्महत्या करने पर मजूबर करें। इस कानून के दुरुपयोग को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं।
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