SC के वकील का दावा, एसबीआई ने विजय माल्या को समय रहते फरार होने से रोकने का प्रयास नहीं किया चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाया। तीन सदस्यीय बेंच ने दो जजों की बेंच के फैसले को बदलते हुए कहा, दहेज उत्पीडऩ के मामले में पीडि़ता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल गिरफ्तारी पर लगी रोक हटाना जरूरी है। बेंच ने कहा, कोर्ट ऐसे आपराधिक मामले की जांच के लिए सिविल कमेटी नियुक्त नहीं कर सकता। ऐसा करना पुलिस और न्याय व्यवस्था के समनांतर एक व्यवस्था बनाने जैसा है, जिसकी इजाजत नहीं दी जा सकती
जेल से रिहा हुए रावण ने किया बीजेपी के खिलाफ जंग का एलान अग्रिम जमानत का विकल्प खुला
कोर्ट ने इस मामले में आरोपी पति और उसके रिश्तेदारों के संरक्षण के लिए अग्रिम जमानत के विकल्प को खुला रखा है। कोर्ट ने कहा, यह फैसला इस मामले में पिछले साल दिए गए दिशा-निर्देशों की तरह ही है। कोर्ट ने सभी राज्यों को यह निर्देश भी दिया है कि इस मुद्दे पर पुलिस अफसरों और कर्मचारियों के बीच जागरूकता फैलाएं और कोर्ट के निर्देशों की जानकारी भी दें।
कोर्ट ने इस मामले में आरोपी पति और उसके रिश्तेदारों के संरक्षण के लिए अग्रिम जमानत के विकल्प को खुला रखा है। कोर्ट ने कहा, यह फैसला इस मामले में पिछले साल दिए गए दिशा-निर्देशों की तरह ही है। कोर्ट ने सभी राज्यों को यह निर्देश भी दिया है कि इस मुद्दे पर पुलिस अफसरों और कर्मचारियों के बीच जागरूकता फैलाएं और कोर्ट के निर्देशों की जानकारी भी दें।
बीते साल आया था फैसला
27 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की बेंच ने कहा था कि आइपीसी की धारा-498 ए (दहेज प्रताडऩा मामला) में गिरफ्तारी सीधे नहीं होगी। कोर्ट ने कहा, दहेज प्रताडऩा मामले को देखने के लिए हर जिले में परिवार कल्याण समिति बनाई जाए और इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही गिरफ्तारी हो। कोर्ट ने दहेज प्रताडऩा मामले में कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए लीगल सर्विस अथॉरिटी से हर जिले में परिवार कल्याण समिति का गठन करने को कहा था। इसमें सिविल सोसायटी के लोगों को भी शामिल करने का निर्देश था।
27 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की बेंच ने कहा था कि आइपीसी की धारा-498 ए (दहेज प्रताडऩा मामला) में गिरफ्तारी सीधे नहीं होगी। कोर्ट ने कहा, दहेज प्रताडऩा मामले को देखने के लिए हर जिले में परिवार कल्याण समिति बनाई जाए और इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही गिरफ्तारी हो। कोर्ट ने दहेज प्रताडऩा मामले में कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए लीगल सर्विस अथॉरिटी से हर जिले में परिवार कल्याण समिति का गठन करने को कहा था। इसमें सिविल सोसायटी के लोगों को भी शामिल करने का निर्देश था।
यूपी के बाद अब हरियाणा में खट्टर सरकार ने बदल दिए इन पांच स्टेशनों के नाम विवाहित महिला के संरक्षण का कानून
विवाहित महिलाओं के खिलाफ हिंसा की प्रमुख वजहों में से एक दहेज भी है। 498-ए में पति या उसके रिश्तेदारों के ऐसे बर्तावों को शामिल किया गया है जो किसी महिला को मानसिक या शारीरिक नुकसान पहुंचाने या उसे आत्महत्या करने पर मजूबर करें। इस कानून के दुरुपयोग को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं।
विवाहित महिलाओं के खिलाफ हिंसा की प्रमुख वजहों में से एक दहेज भी है। 498-ए में पति या उसके रिश्तेदारों के ऐसे बर्तावों को शामिल किया गया है जो किसी महिला को मानसिक या शारीरिक नुकसान पहुंचाने या उसे आत्महत्या करने पर मजूबर करें। इस कानून के दुरुपयोग को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं।