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Exclusive : Dragon’s New Trick – भारत के खिलाफ पश्चिमी सीमा तक पाक फौज के लिए बनाए बंकर

locationनई दिल्लीPublished: May 30, 2020 06:27:33 pm

Sindh इलाके में 25 साल पहले तेल-गैस व कोयले के काम के साथ चीन ने Pakistan में दखल देना शुरू किया था।
Western Border पर पाक फौज के लिए Dragon ने बंकर और थारपारकर में एयर स्ट्रीप बनाए हैं।
सिंध में चीनी इंजीनियर्स ही नहीं सैनिक भी CPEC की सुरक्षा में लगाए गए हैं।

China-Pakistan Border

सिंध में चीनी इंजीनियर्स ही नहीं सैनिक भी CPEC की सुरक्षा में लगाए गए हैं।

नई दिल्ली। चीनी बिसात पश्चिमी सीमा के सिंध प्रांत ( Sindh Province ) तक बिछ चुकी है। तेल-गैस और कोयला के जरिए व्यापारिक कार्य करने के साथ ही चीन ( China ) का पाकिस्तान ( Pakistan ) में सामरिक दखल इस कदर है कि पश्चिमी सीमा पर पाक फौज ( Pak Army ) के लिए ड्रैगन ने बंकर और थारपारकर में एयर स्ट्रीप (व्यापारिक उड़ान) भी बनाए हैं।
सिंध इलाके में चीनी इंजीनियर्स ही नहीं चीनी सैनिक भी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा ( CPEC ) सुरक्षा के लिए लगाए हुए है।

सिंध इलाके में करीब 25 साल पहले तेल-गैस व कोयले के काम के साथ चीन ने पाकिस्तान में दखल शुरू कर दिया था। चीन के इंजीनियर्स तेल कंपनियों में नियोजित होने के साथ ही तेल व कोयले का परिवहन के काम में भी लगे थे। तेल गैस परिवहन के इस कार्य के साथ ही चीन ने यहां पाकिस्तान के सामरिक कार्य ( Strategic works ) भी अपने हाथ में लेने शुरू कर दिए।
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अपनी योजना के तहत चीन ने पश्चिमी सीमा के थारपारकर इलाके में एयर स्ट्रीप का निर्माण किया है। यह एयर स्ट्रिप भारतीय सीमा से महज 90 किमी की दूरी पर बना है। इस एयर स्ट्रीप को लेकर 2015-16 में ही भारत ने ऐतराज किया लेकिन पाकिस्तान नहीं माना और वाणिज्यक गतिविधि के लिए जरूरी बताते हुए निर्माण पूर्ण कर लिया।
इसके साथ ही इसी दौर में पाकिस्तान ने पश्चिमी सीमा ( Western Border ) पर बंकर का निर्माण प्रांरभ किया। यह कार्य भी चीन की कंपनियों को दिया गया। चीन की ओर से बने इन बंकर को सामरिक दृष्टि से खुफिया तौर पर इस्तेमाल करने की आंशका पर भी भारतीय खुफिया एजेंसियों ( Indian intelligence agencies ) की ओर से ऐतराज किया गया।
CPEC को लेकर परेशानी

2014 में शुरू हुआ सीपेक करीब 46 बिलियन डॉलर का है। ग्वादर बंदरगाह कराची तक आने वाले इस सीपेक का रास्ता पीओके ( पाक अधिकृत कश्मीर ) से है और करीब 2442 किमी लंबा यह कॉरीडोर चीन से पाकिस्तान तक होगा। इससे 19 मिलियन टन तेल चीन पहुंचेगा। इस कॉरीडोर का एक रास्ता सिंध से भी दिया जा रहा है। ऐसे में सिंध के इलाके में चीन का दखल और बढऩे की आंशका है। यह कॉरीडोर 2030 तक पूरा होना है।
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पाकिस्तानी सीख रहे चीनी भाषा

तेल-गैस-कोयला के जरिए पाकिस्तान का दखल इस कदर बढ़ा है कि पाकिस्तान के कराची के विश्वविद्यालयों में तो चीनी विषय है ही अब प्राथमिक शिक्षा में भी स्कूलों में चीनी भाषा सिखाने की तैयारी प्रारंभ कर दी गई है। चीनी भाषा सिखाने के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि चीन से आने वाले इंजीनियर्स के साथ तालमेल बिठाने के लिए यहां के युवकों को तैयार किया जा रहा है।
ऊर्जा के लिए दे रहा चीन मदद (Pakistanis are learning Chinese language )

थारपारकर इलाके में 6600 मेगावाट के ऊर्जा प्लांट को भी चीन की मदद से ही पाकिस्तान तैयार कर रहा है। पााकिस्तान में 10 हजार 500 मेगावाट के दस प्लांट लगाए जाने है। थारपाकर व सिंध इलाके में लगने वाले प्लांट को लेकर चीन की दिलचस्पी ज्यादा बताई जा रही है।

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