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महाराष्ट्र के मंत्री का बड़ा बयान, संवाद के अभाव में राजकीय सम्मान से नहीं हो सका आचरेकर का अंतिम संस्‍कार

प्रकाश मेहता ने कहा कि आचरेकर को राजकीय सम्मान के साथ विदाई नहीं दिया जाना दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है।

Jan 04, 2019 / 01:54 pm

Shivani Singh

महाराष्ट्र के मंत्री का बड़ा बयान, संवाद के अभाव में राजकीय सम्मान से नहीं हो सका आचरेकर का अंतिम संस्‍कार

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के आवास मंत्री प्रकाश मेहता ने पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के पहले कोच रमाकांत आचलेकर के अंतिम संस्कार को लेकर सवाल उठाए हैं। प्रकाश मेहता ने गुरुवार को कहा कि सरकारी स्तर पर ‘संवादहीनता’ के कारण सचिन तेंदुलकर के कोच का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ नहीं किया जा सका।

मैं माफी मांगता हूं

प्रकाश मेहता ने कहा कि आचरेकर को राजकीय सम्मान के साथ विदाई नहीं दिया जाना दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। इतनी बड़ी गलती संवादहीनता के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर इसके लिए मैं माफी मांगता हूं। यह काफी दुखद है। मैं देखूंगा कि क्या हुआ था। वहीं, मंत्री मेहता ने कहा कि वह इस ममले पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बात करेंगे । उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे सुबह ही मंत्रालय से संदेश मिला कि मुझे अंतिम संस्कार में शामिल होना है।’

राजकीय सम्मान देने का फैसला सीएम के हाथ में

वहीं, सीएम कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमें प्रोटोकाल विभाग ने बताया नहीं था कि राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाना है। अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर आम प्रशासन विभाग इसके लिए फाइल भेजता है और राज्य के मुख्यमंत्री इस पर अपनी मंजूरी देते हैं। लेकिन इस मामले में एक फोन तक नहीं आया। इस मामले में प्रोटोकाल विभाग के प्रभारी जल संरक्षण मंत्री राम शिंदे ने कहा कि वह मुंबई से बाहर है। उन्होंने कहा, ‘आमतौर पर किसी को राजकीय सम्मान देने का फैसला सीएमओ करता है। अगर मैं होता तो इस मसले को रखता और यह सुनिश्चित करता कि आचरेकर सर की विदाई राजकीय सम्मान के साथ हो।’

श्रीदेवी के अंतिम संस्कार से पैदा हुए विवाद

गौरतलब है कि इस साल फरवरी में श्रीदेवी का राजकीय सम्मान साथ अंतिम संस्कार किया गया था, जिसके बाद यह विवाद पैदा हुआ था कि राजकीय सम्मान आदेश देने का अधिकार किसके पास है और यह सम्मान किसे दिया जाता है। विवाद के बाद आम प्रशासन विभाग ने कहा था कि पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि को मंजूरी देने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास है। इसके लिए मृतक को कोई राष्ट्रीय सम्मान या पद्म सम्मान मिला होना जरूरी नहीं है।

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