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झारखंड के इस गांव में गरीबी के चलते लिव इन में रहने को मजबूर हैं लोग

बोलचाल में इस परंपरा को धुकुआ कहते हैं। इसमें महिलाओं को अपने पार्टनर के साथ रहने के लिए समाज की अनुमति लेनी होती है

Jan 16, 2019 / 03:12 pm

Dhirendra

dhukini

झारखंड के इस गांव में गरीबी के चलते लिव इन में रहने को मजबूर हैं यहां के लोग

नई दिल्‍ली। झारखंड का एक गांव के लोग गरीबी से इस हद तक ग्रसित हैं कि वहां के आदिवासी लोग लिव-इन में रहने के लिए मजबूर हैं। दरअसल, यहां के आदिवासी समुदायों में शादी की पार्टी दिए बगैर शादी करने वाले लोगों को शादीशुदा नहीं माना जाता है। यही कारण है कि लोग लिव-इन में रहते हैं। स्थानीय लोक बोलचाल में इस परंपरा को धुकुआ कहते हैं। इसमें महिलाओं को अपने पार्टनर के साथ रहने के लिए समाज की अनुमति लेनी होती है लेकिन पत्नी के बजाय वह धुकनी कहलाती है जिसका मतलब है- बिना शादी के महिला का घर में रहना।
एनजीओ ने कराई 132 जोड़ों की शादी
जिस गांव में गरीबी की वजह से आदिवासियों की परंपरा है वो गुमला जिला का चरकटनगर गांव है। गांव के लोगों में परंपरा है कि जो दंपती अपनी शादी की दावत नहीं देता है उसकी शादी को मान्यता नहीं दी जाती। यह गांव क्षेत्र में उस समय चर्चा में आया जब लोगों को इस समस्‍या से राहत दिलाने के लिए एक गैर सरकारी संस्‍था ने 132 जोड़ो का सामूहिक विवाह कराया और मेहमानों को दावत भी खिलाई। आदिवासी परंपरा के अनुसार विवाहित जोड़ों के दोस्तों और रिश्तेदारों को भोज में आमंत्रित किया गया।
ओरांव, मुंडा और हो में है पंरपरा
आपको बता दें कि झारखंड के ओरांव, मुंडा और हो आदिवासियों के बीच लिव-इन में रहना सामान्य है। इन समुदायों के लोग आर्थिक रूप से काफी पिछड़े होते हैं और शादी दावत के लिए खर्चा उठा पाने में सक्षम नहीं होते हैं। इसलिए ये परंपरा लंबे अरसे से चली आ रही है।

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