यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा के शोधकर्ता माइक डुवाल ने बताया कि उनकी टीम ने नेपाल (Nepal) के हिमालयी जमीन के नीचे हो रहे बदलावों को रिकॉर्ड किया है। वे असल में नेपाल में पेट्रोल की खोज के लिए गए थे। तभी उन्हें जमीन के अंदर अजीब तरह की आवाजें सुनाई दी। उन्होंने इसके अध्ययन में पाया कि ये जमीन की परत और टेक्टोनिक प्लेट्स (Tectonic Plates) में लगातार हो रहे बदलाव को दर्शा रहा है। दावा किया है कि भूकंप आने पर सबसे ज्यादा बुरी हालत नेपाल के दक्षिण-पश्चिम इलाके में हो सकती है। ये तबाही ठीक वैसे ही होगी जैसी साल 2015 में हुई थी। इससे रिहायशी इलाकों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचने की आशंका है।
नेपाल में आने वाले भूकंप ने के लिए गंगा नदी के बहाव क्षेत्र के नीचे जमीन के अंदर होने वाले बदलाव प्रमुख जिम्मेदार होंगे। पाल की पहाड़ी जमीन के नीचे की लेयर गंगा के बहाव क्षेत्र के नीचे आने वाली लेयर से सटी हुई हैं। यहां पर तेजी से हलचल हो रही है जिसकी वजह से आवाजें आ रही हैं। माइक ने बताया कि हिमालय के नीचे जमीन की लेयर्स का बड़ा और उलझा हुआ नेटवर्क है। इसलिए ये समझ पाना मुश्किल है कि कौन सा फॉल्ट कब हिलेगा। मगर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है। नेपाल जिस जगह पर स्थित है, वहां से हिमालयन प्लेट्स और फॉल्ट्स की शुरुआत होती है। चूंकि टेक्टोनिक प्लेट्स और फॉल्ट्स लगातार हिमालय की तरफ खिसक रहे हैं, इसलिए भी बड़ी तबाही की आशंका है।