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हरियाणा के सोनीपत में फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए, हताहत की खबर नहीं

locationनई दिल्लीPublished: Jul 06, 2018 06:36:41 pm

Submitted by:

Prashant Jha

पांच दिनों के भीतर हरियाणा की धरती दो बार भूकंप के झटकों से दहल उठी है।

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दिल्ली-NCR में भूकंप के झटके महसूस किए गए, हताहत की खबर नहीं

नई दिल्ली: दिल्ली एनसीआर से सटे हरियाणा के सोनीपत में एक बार फिर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 3.5 आंकी गई है। पांच दिनों के भीतर हरियाणा की धरती भूकंप के झटकों से दहली है। भूकंप का केंद्र हरियाणा का सोनीपत था। भूकंप के तेज झटके से लोग सहम उठे। सोनीपत में 4 बजकर 44 मिनट पर भूकंप के तेज झटके महसूस किए, हालांकि अभी तक किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है। इससे पहले 1 जुलाई को दिल्ली एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप की तीव्रता 4.0 मापी गई थी। भूकंप के झटके से कई जगहों पर लोग घरों से बाहर निकल आए। दिल्ली के नरेला में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र हरियाणा का सोनीपत था। वहीं हरियाणा के रोहतक में भूकंप के झटके महसूस किए गए।

अंडमान निकोबार में भूकंप के झटके

वहीं 4 जुलाई को केन्द्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार में भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.2 मापी गई थी। भूकंप सुबह लगभग 2-3 बजे के आसपास आया था। हालांकि किसी के मारे जाने की सूचना नहीं थी।

भूकंप से कांपा उत्तराखंड

इससे पहले 14 जून को देवभूमि उत्तराखंड तड़के भूकंप के झटकों से कांप उठा। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुबह करीब 6 बजे लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.0 मापी गई है और इसका केंद्र उत्तरकाशी में ही 10 किलोमीटर नीचे था। इससे पहले 9 मई को दिल्ली एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.6 मापी गई है. भूकंप का केंद्र काबुल से 182 किलोमीटर दूर बताया जा रहा है।

ऐसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता

गौरतलब है कि जब भी भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं तो उसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर मापी जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि रिक्टर स्केल पर अगर भूकंप की तीव्रता 6 से कम होती है तो उसे नुकसानदायक नहीं कहा जा सकता। वहीं अगर यह तीव्रता 7 से 9 के बीच मापी जाती है तो इमारतों के गिरने और समुद्री तूफान आने का खतरा होता है। जब भूकंप 9 से ऊपर के रिक्टर स्केल पर आता है तो भारी तबाही का कारण बन जाता है।

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