वक्त बीतने का साथ-साथ तनाव भी बढ़ रहा था। मुसलमान विकल्पों पर विचार कर रहे थे। लेकिन जैसे ही इलाके के सिख समुदाय के लोगों को इसकी जानकारी हुई तो सिख समुदाय के लोगों ने एक-दूसरे को बुलाया और इस पर माथापच्ची करने लगे कि मुस्लिम भाइयों की मदद कैसे की जाए। फिर फैसला हुआ कि मुसलमानों को गुरुद्वारे में नमाज अता करवा दी जाए।
सिखों ने मुस्लिम भाइयों को गुरुद्वारे में नमाज अता करने का प्रस्ताव दिया और जोशीमठ, गोविंद घाट एवं पीपलकोटी से करीब 1,000 मुसलमानों ने गुरुद्वारे के अहाते में नमाज अता की। जोशीमठ के एसडीएम योगेंद्र सिंह, इंस्पेक्टर संजय कुमार और गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के सदस्य तुरंत मौके पर पहुंचे और नमाज अता करने की जगह तैयार कर दी।
सबकुछ शांति से निपट जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए ये सभी तब तक वहीं डटे रहे जबतक कि एक-एक मुसलमान नमाज अता करके वहां से चले नहीं गए। जोशीमठ गुरुद्वारा समिति के मैनेजर बूटा सिंह ने बताया कि, ‘इलाके में एक भी मस्जिद नहीं है और ईद की नमाज गांधी मैदान की खुली जगह में अता की जाती है जिसकी गुरुद्वारे से दूरी एक किलोमीटर से भी कम है। जब पता चला कि मैदान पूरी तरह पानी में डूब गया है और बड़ी संख्या में जुटे मुसलमान नमाज अता नहीं कर पाएंगे तो गुरुद्वारा कमेटी तुरंत मदद करने आ गई। हम यही कर सकते थे।’
जोशीमठ में सब्जियां बेचनेवाले मोहम्मद असलम ने कहा, ‘हमें बहुत अच्छा लगा। गुरुद्वारा कमिटी ने जो किया, वह भाईचारे की मिसाल है। उन्होंने सुनिश्चित किया कि हमें नमाज अता करने के लिए पूरी जगह मिले। हम बहुत खुश हैं। हरेक इंसान को इससे सीखना चाहिए।’