वैज्ञानिकों को सुझाव पसंद आया और उन्होंने इस पर काम शुरू किया। इसमें उन्हें सफलता भी मिली और अब इसका पेटेंट भी करा लिया गया है। इस समय आईआईसीटी की देखरेख में ही एक निजी इंजीनियरिंग कंपनी यहां बिजली उत्पादन पर काम कर रही है।
सब्जियों से बिजली तैयार करने की प्रक्रिया थोड़ी कठिन है। इस प्रक्रिया के तहत सब्जियों के कचरे को पहले कन्वेयर बेल्ट पर रखा जाता है। यह बेल्ट कचरे को बारीक ढेर में तब्दील कर देता है। इसका घोल बनाया जाता है, जिसे बड़े कंटेनरों या गड्ढों में डाल दिया जाता है। इससे यह जैव ईंधन बन जाता है। इस ईंधन में कॉर्बन डाई आक्साइड और मीथेन गैस होती है। यह ईंधन जेनरेटर में इस्तेमाल किया जाता है। इसी से बिजली बनती है। अब तक करीब 1400 टन सब्जियों के कचरे से 32 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ है। इसके अलावा, करीब 700 किलो खाद तैयार हुई, जिसे खेती के काम में इस्तेमाल किया जा रहा है।
औसतन रोज करीब 10 टन कचरे से लगभग 500 यूनिट बिजली तैयार हो रही है। इस बिजली से मंडी परिसर में 100 स्ट्रीट लाइट जल रही हैं। इसके अलावा, मंडी परिसर में स्थित 170 दुकानों और एक प्रशासनिक भवन को इससे आपूर्ति दी जा रही है। साथ ही, वॉटर सप्लाई के लिए भी इसी बिजली का इस्तेमाल हो रहा है। यही नहीं, रोज करीब 30 किलोग्राम बायोगैस भी तैयार हो रही है। इसे मंडी में स्थित कैंटीन को सप्लाई किया जाता है, जिससे वहां खाना पकता है। इसकी सफलता को देखते हुए हैदराबाद की कुछ और मंडियों ने भी इस पर अपने यहां काम शुरू कर दिया है। जल्दी ही वहां भी कचरे से बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।