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ये है देश का पहला Encounter, जब AK-47 और Mobile Surveillance का हुआ था इस्तेमाल

Published: Jul 07, 2020 05:02:11 pm

Submitted by:

Kaushlendra Pathak

श्रीप्रकाश शुक्ला ( Shri Prakash Shukla ) के Encounter में तीन चीजें हुई थी पहली बार
पहली बार AK-47 और मोबाइल सर्विलांस ( Mobile surveillance ) का हुआ था इस्तेमाल

Encounter: AK 47 and mobile surveillance were used in country first time

श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर में तीन चीजों का पहली बार किया गया था इस्तेमाल।

नई दिल्ली। एनकाउंटर ( Encounter ) की खबरें तो आप सबने कई बार सुनी होगी। देश में आए दिन कहीं न कहीं से एनकाउंटर की खबरें सामने आती रहती हैं। लेकिन, इस देश में एक एनकाउंटर ऐसा भी हुआ है, जो काफी चर्चित भी रहा और ऐतिहासिक भी है। क्योंकि, इस एनकाउंटर में पहली बार AK-47 और मोबाइल सर्विलांस ( Mobile surveillance ) का इस्तेमाल हुआ था। जिस माफिया डॉन का एनकाउंटर हुआ था, उसने CM तक को मारने की सुपारी ली थी। हालांकि, अपने मंसूबे में वह कामयाब नहीं हो सका और उससे पहले ही मारा गया।
जब पहली बार हुआ था AK 47…

इस माफिया डॉन का नाम था श्रीप्रकाश शुक्ला ( Shri Prakash Shukla )। श्रीप्रकाश शुक्ला पहला ( Don shri prakash shukla ) ऐसा डॉन था, जिसने AK-47 का इस्तेमाल किया था। वहीं, पुलिस ने शुक्ला को पकड़ने के लिए मोबाइल सर्विलांस ( Mobile surveillance ) का इस्तेमाल किया था। इतना ही नहीं शुक्ला को पकड़ने के लिए पहली बार STF तक का गठन हुआ था। इस एनकाउंटर ( Shri Prakash Shukla Encounter ) पर ‘शहर’ नामक बॉलीवुड में मूवी भी बन चुकी है। IPS ऑफिसर राजेश पाण्डेय ( Rajesh Pandey ) बताते हैं कि उस समय शुक्ला का आतंक उत्तर प्रदेश में काफी बढ़ गया था। ठेकेदारी में उसका हद से ज्यादा दखल बढ़ गया था। उसके आतंक को खत्म करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और DGP की एक अहम बैठक हुई। इसी बैठक में STF बनाने की योजना तैयार हुई।
Encounter: AK 47 and mobile surveillance were used in country first time
इस तरह हुआ था श्री प्रकाश शुक्ला का Encounter

4 मई 1998 को तत्‍कालीन एडीजी अजयराज शर्मा ( ADG Ajay Sharma ) ने बेहतरीन 50 जवानों को छांट कर STF बनाई और इस फोर्स का पहला टास्क था श्रीप्रकाश शुक्ला। यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ( Vikram Singh ) के मुताबिक, उस समय श्रीप्रकाश के आतंक को खत्म करना एक बड़ा टास्‍क था। जिसके लिए STF बनाई गई थी। इसी दौरान STF को जानकारी मिली कि श्रीप्रकाश दिल्ली में अपनी गर्लफ्रेंड से फोन पर बात करता है। STF ने उसके मोबाइल फोन को सर्विलांस पर ले लिया। हालांकि, श्रीप्रकाश शुक्ला को इस बात का शक हो गया। उसने मोबइल से बात करना छोड़ दिया और PCO से बात करना शुरू कर दिया। STF ने उसकी गर्लफ्रेंड के नंबर को भी सर्विलांस पर रखा था। मोबाइल सर्विलांस से ही पता चला कि जिस पीसीओ से श्रीप्रकाश शुक्ला बात करता है, वह गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में है। 23 सितंबर 1998 को STF की टीम श्रीप्रकाश शुक्ला के पास पहुंच गई। जैसे ही शुक्ला दिल्ली से गाजिबाद की ओर बढ़ा STF ने उसका पीछा शुरू कर दिया। लेकिन, इसकी भनक शुक्ला को नहीं लगी। वसुंधरा इन्क्लेव पार करते ही STF ने शुक्ला को घेर लिया और उसे सरेंडर करने के लिए कहा। लेकिन, उसने फायरिंग शुरू कर दी। STF की जवाबी फायरिंग में शुक्ला मारा गया। यही वह पहला एनकाउंटर था, जिसमें पहली बार तीन चीजों का इस्तेमाल किया गया। AK-47, मोबाइल सर्विलांस औऱ STF।

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