कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ( EPFO ) के सीबीटी की बुधवार को हुई बैठक में फैसला।
कोरोना के चलते 8.5% ब्याज दो भागों में विभाजित करने की सिफारिश की गई।
बीमा धनराशि में बढ़ोतरी, जमा लिंक्ड बीमा योजना, 1976 में संशोधन को दी मंजूरी।
पीएफ खातादारों के लिए बड़ी खुशखबरी, इस नए नियम से नौकरी में मिलेगा फायदा
नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ( EPFO ) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए अनुशंसित 8.5 फीसदी की ब्याज दर को “COVID-19 से पैदा असाधारण परिस्थितियों” का हवाला देते हुए दो भागों में विभाजित करने की सिफारिश की है। EPFO वर्ष के लिए छह करोड़ से अधिक ग्राहकों को 8.15 फीसदी रकम देगा और शेष 0.35 फीसदी जो कि उसके इक्विटी निवेश से जुड़ा हुआ है “31 दिसंबर से पहले” देगा। वहीं, खाताधारकों की बीमाराशि में एक लाख रुपये की बढ़ोतरी भी कर दी गई है।
ईपीएफओ ने कहा, यह एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड या ईटीएफ में निवेश की गई अपनी इकाइयों को भुनाने के अधीन है। 8.5 फीसदी पर ईपीएफ ब्याज दर सात साल के निचले स्तर पर है। यदि ईटीएफ इकाइयों का नगदीकरण उम्मीद के मुताबिक नहीं आता है, तो 8.15 फीसदी ब्याज दर 1977-78 के बाद से सबसे कम होगी, जब ईपीएफओ ने 8 फीसदी की ब्याज दर का भुगतान किया था।
केंद्रीय न्यासी बोर्ड के एक सदस्य ने कहा, बुधवार की घोषणा का प्रभावी रूप मतलब यह है कि ईपीएफओ ब्याज का केवल आंशिक भुगतान करने की स्थिति में है, जिसकी राशि फिलहाल लगभग 58,000 करोड़ रुपये है। वहीं, 0.35 फीसदी हिस्सा यानी लगभग 2,700 करोड़ रुपये तरलता के मुद्दों के कारण रखे जाएंगे।
अब इस प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय के पास बहाली के लिए भेजा जाएगा। जबकि इसने मार्च में 8.5 फीसदी ब्याज दर के लिए प्रारंभिक सिफारिश की थी, श्रम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले ईपीएफओ, ने अब तक वित्त मंत्रालय की मंजूरी नहीं मांगी थी।
5 मार्च को 2019-20 के लिए 8.5 फीसदी की दर की सिफारिश करते हुए बोर्ड ने पेआउट को पूरा करने के लिए ईटीएफ इकाइयों को भुनाने का कोई उल्लेख नहीं किया था। श्रम और रोजगार मंत्रालय के एक बयान में केवल बोर्ड की सिफारिश के बारे में बात की गई थी कि “वर्ष 2019-20 के लिए ईपीएफ सदस्यों के खातों में ईपीएफ संचय पर 8.5 फीसदी वार्षिक ब्याज दर दी जाएगी।”
खाताधारकों को 7 लाख का बीमा वहीं, ईपीएफ खाताधारकों की बीमा धनराशि में बढ़ोतरी करते हुए बोर्ड ने जमा लिंक्ड बीमा योजना, 1976 में संशोधन के लिए मंजूरी दे दी है। इसके परिणामस्वरूप अधिकतम लाभ को 6 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपये तक किया जा सकेगा। संशोधन के बाद सेवारत कर्मचारियों की मृत्यु होने के हालात में परिवार को सात लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिल सकेगी। ईपीएफ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बुधवार को हुई 227वीं बैठक में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री संतोष गंगवार की अध्यक्षता में यह निर्णय लिया गया।