अखबार बेचने से राष्ट्रपति बनने तक यों छाए कलाम डॉक्टर कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में हुआ था। बचपन से ही उनका जीवन कई तरह के संघर्षों से गुजरा। रामेश्वरम की गलियों में अखबार बेचने से लेकर देश के राष्ट्रपति बनने तक उन्होंने संघर्ष, समर्पण और अनुशासन की अद्भुत पटकथा लिखी। उनके वैज्ञानिक जीवन की उपलब्धियों ने भारत को दुनियाभर में अलग पहचान दिलाई।
…ऐसे मिली ‘मिसाइल मैन’ की उपाधि कलाम ने ही भारत में सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल (SLV-111) की शुरुआत की थी। इसके बाद ही भारत को स्पेस क्लब में एंट्री मिली थी। करीब दो दशकों तक उन्होंने इसरो में काम किया। इसके बाद रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में भी काम किया। अग्नि और पृथ्वी मिसाइल के निर्माण और ऑपरेशन में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा। पोखरण-2 परमाणु परीक्षण का सफल परीक्षण, भारत को वर्ल्ड न्यूक्लियर क्लब में प्रवेश आदि उनकी विशिष्ट उपलब्धियों में शुमार है। इसके अलावा 1992 से 1999 तक करीब सात साल वे प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार और डीआरडीओ के सचिव भी रहे थे।
सम्मानों की लंबी फेहरिस्त है कलाम के नाम – 1954 में सेंट जोसेफ कॉलेज त्रिचि विज्ञान के क्षेत्र में स्नातक पूरा किया।
– 1957 में एमआईटी मद्रास से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग से विशेषज्ञता हासिल की।
– 1981 में उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया।
– 1990 में उन्हें दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया।
– 1997 में उन्हें भारत के सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया।
– दुनियाभर में उन्हें करीब 48 विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों से डॉक्टरेट की उपाधि दी गई।