भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली के पितृत्व अवकाश ने बढ़ाया विवाद।
पितृत्व अवकाश को लेकर क्या हैं श्रम कानून और क्या है लैंगिक भूमिका।
सरकारी और निजी संस्थानों में मातृत्व अवकाश अनिवार्य लेकिन पितृत्व नहीं।
Explainer: Labour laws in India when Virat Kohli is on paternity leave
नई दिल्ली। बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा और उनके पति भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली सोमवार 11 जनवरी को एक लड़की के माता-पिता बने। जहां भारतीय टीम फिलहाल ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर है, कोहली पहले टेस्ट के बाद पितृत्व अवकाश पर भारत वापस आ गए थे।
भारत की धांसू ईवी ने पेश की इंटीरियर्स की तस्वीरें, कमाल करने की तैयारी में Pravaig Dynamics कोहली के पितृत्व अवकाश लेने के फैसले ने काफी चर्चाओं को जन्म दे दिया। इनमें तमाम सवाल भी थे तो कई ने प्रशंसा भी की। हालांकि भारत में किसी कर्मचारी को पिता बनने पर पितृत्व अवकाश कैसे दिए जाते हैं, कोहली के मामले ने तूल क्यों पकड़ लिया और क्यों बीसीसीआई पर दोहरे मानकों का आरोप लगाया गया है, इस बारे में जानने की जरूरत है।
दरअसल कोहली ने पहले ही घोषणा की थी कि वह अपनी पत्नी और बच्चे के साथ होंगे और ऑस्ट्रेलिया के तीन टेस्ट मैच को मिस करेंगे। हालांकि एक मैग्जीन में पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने लिखा कि बीसीसीआई के पास अलग-अलग लोगों के लिए अलग नियम हैं और उन्होंने टीम में दो नए पिता बनने वाले खिलाड़ियों- कप्तान कोहली और टी नटराजन की तुलना कर चर्चाओं को हवा दी।
वहीं, कोहली से पहले, रोहित शर्मा, गौतम गंभीर, सौरव गांगुली, एमएस धोनी समेत कई खिलाड़ियों के पिता बनने के दौरान या बाद में भी पितृत्व अवकाश लेने की कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन विराट के मामले में यह मामला बढ़ गया है।
भारत में पितृत्व अवकाश पर कानून कानूनी रूप से अनिवार्य मातृत्व अवकाश से उलट निजी क्षेत्र भारत में पितृत्व अवकाश प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एक कानूनी शर्त है- “एक पुरुष सरकारी कर्मचारी (एक प्रशिक्षु, परिवीक्षाधीन समेत) जिसके दो से कम जीवित बच्चे हों, उन्हें बच्चे की डिलीवरी की तारीख से 15 दिनों की अवधि या छह महीने तक की अवधि के लिए पितृत्व अवकाश दिया जा सकता है।” इसमें “दो से कम जीवित बच्चों” का अर्थ है कि कर्मचारी केवल अपने पहले दो बच्चों के लिए पितृत्व अवकाश ले सकता है।
Patrika Explainer: कौन है सैमुअल लिटिल, जो बन गया अमरीका का सबसे बड़ा खलनायक इस प्रकार कोई विशेष कंपनी अपने कर्मचारी को कितने दिन पितृत्व अवकाश देने का फैसला लेती है, इस पर उसका अधिकार है। आइकिया (Ikea) कंपनी द्वारा इसके मूल देश स्वीडन से लेकर भारत तक में सबसे लंबी छुट्टी (छह महीने) की प्रदान की जाती है। भारतीय कंपनियों के बीच ज़ोमैटो ने 2019 में अपने कर्मचारियों को 26 सप्ताह का पितृत्व अवकाश देने का फैसला कर सुर्खियां बंटोरीं।
दूसरी ओर महिलाओं के लिए कानून कहता है कि 10 या अधिक श्रमिकों वाले सभी प्रतिष्ठानों की महिला श्रमिक 26 सप्ताह का सवैतनिक अवकाश ले सकती है, जिसमें बच्चे के जन्म से पहले आठ सप्ताह का अवकाश भी शामिल है।
सामाजिक दृष्टिकोण लैंगिक समानता के लिए काम करने वाली अमरीका की एक संस्था प्रोमुंडो की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल 187 देशों में से 90 ने वैधानिक रूप से पितृत्व अवकाश का भुगतान किया। भारत इनमें से नहीं था।
इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि सामाजिक रूप से बच्चों के पालन-पोषण को भारत में अभी भी काफी हद तक एक महिला की ज़िम्मेदारी माना जाता है। इस प्रकार यदि कंपनियां लंबे समय से पितृत्व की पेशकश नहीं कर रही हैं, तो यह इसलिए भी है क्योंकि कर्मचारी इसके लिए नहीं पूछ रहे हैं।
वर्ष 2016 में जब मांग की गई थी कि पितृत्व अवकाश को कानूनी तौर पर मातृत्व अवकाश की तरह ही बाध्यकारी बनाया जाए, तब महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा था: “मुझे यह देने में खुशी होगी, लेकिन एक आदमी के लिए यह सिर्फ एक छुट्टी होगी। वह कुछ भी नहीं करेगा।
जबकि 2017 में कांग्रेस सांसद राजीव सातव ने एक निजी सदस्य विधेयक, पितृत्व लाभ विधेयक, 2017 पारित किया था, जिसमें सभी क्षेत्रों में समान मातृत्व और पितृत्व अवकाश का प्रस्ताव था। हालांकि यह आगे नहीं बढ़ा है।