जेना के मुताबिक वो इस संबंध में तकरीबन हर विभाग के चक्कर काट चुका है, लेकिन कहीं भी उसकी बात नहीं सुनी गई है। हर जगह से उन्हें यही कह कर लौटा दिया गया कि उनकी पहचान पूरी तरह पुष्ट नहीं है। ऐसे में आधार मे हुई त्रुटि के चलते वे अपना रुपया नहीं निकाल सकते।
दर-दर की ठोकरें खा रहे जेना के सब्र का बांध अब टूटने लगा है, जेना का कहना है कि अगर सरकार उसकी मदद नहीं कर सकती है तो वो आत्महत्या कर लेगा। मानवाधिकार वकील सत्यब्रत मोहंती ने भी सरकार विभागों की इस उदासीनता को लेकर सवाल खड़ा किया है। उनका कहना है कि मौजूदा समय में लाखों लोग ऐसे जिनका आधार ठीक से नहीं बना है ऐसे में क्या उन्हें अपने अधिकारों से वंचित रखा जाएगा, जबकि सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि आधार की वजह से लोगों के अधिकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।