सूफी संत हजरत दीवाना शाह का 72वां तीन दिवसीय उर्स का शनिवार को कुल की फातिहा के साथ समापन हो गया।
सूफी संत हजरत दीवाना शाह का 72वां तीन दिवसीय उर्स का शनिवार को कुल की फातिहा के साथ समापन हो गया।
दरगाह वक्फ कमेटी के सदर निसार अहमद छीपा के अनुसार दीवाना शाह के उर्स में कुल की रस्म शनिवार को सुबह साढे आठ बजे शुरू हुई। तिलावते कलामे पाक के बाद महफिल-ए-मिलाद, दीवाना महफिल पार्टी ने पढी।
बारी-बारी से 41 कव्वाल पार्टियों ने कलाम पेश किए। सभी कव्वाल पार्टियों ने हजरत महबूबे ईलाही के मुरीद हजरत अमीर खुसरो के ब्रज भाषा मे रचित कलाम ‘आज रंग है री मां रंग है री, मेरे दीवाने के अंगना रंग है रीÓ पढा तो लोगों ने इनाम की बरसात कर दी।
हजरत हाजी सैयद आकिल अख्तर कादरी ने फातिहा पढी। दरगाह वक्फ कमेटी के सैक्रेट्री मोहम्मद यासीन खाँ अशरफी ने फातिहा में सिजरा पढा तो पूरे दरगाह परिसर में आमीन-आमीन गूंजने लगा। हर शख्स रो-रो कर अपने हाल ए दिल दीवाना शाह को सुनाने लगा।
कुल की फातिहा व कुल के छींटे जिस पर भी पड़े वो अपने आप को खशु किस्मत समझकर अपने घर को लौट गए।
शनिवार रात सांसद सी.पी. जोशी, नगरपालिका उपाध्यक्ष गजेन्द्र बाघमार, पार्षद नंद किशोर टेलर,पार्षद मोहम्मद हारून, सैयद अशफाक अली आदि ने जियारत कर चादर चढ़ाई। विधायक अर्जुनलाल जीनगर, पार्षद जितेन्द्र आचार्य, चांददीप बग्गा एवं कई लोगों के साथ चादर पेश कर अमन-चैन की दुआ की।
अन्जूमन मोईनिया फखरिया के सैक्रेट्री सैयद वाहिद अली अंगारा, खादिम हाजी सैयद जमाल अख्तर, मुस्लिम वक्फ ऑफ जयपुर के सदस्य युसूफ खां आदि ने चादर पेश की। सभी मेहमानों की दरगाह कमेटी की ओर से दस्तारबंदी की गई।
इससे पूर्व शुक्रवार रात शाही महफिल खाने में ईशा की नमाज के बाद कव्वालों ने कलाम पेश किए। शनिवार को तड़के साढे तीन बजे गुस्ल की रस्म अदा की गई। दीवाना शाह का विसाल 8 सफर 1363 हिजरी, 3 फरवरी 1944 को मोमीन मोहल्ला स्थित कुटिया मे साढे तीन बजे हुआ था। इस याद में हर वर्ष गुस्ल की रस्म अदा की जाती है।
बाद नमाज फजर छह क्ंिवटल चावल, देशी घी, सूखे मेवे और छह क्ंिवटल शक्कर से बने देग का मीठा चावल तकसीम किया गया। जिसे लेने के लिए बुलन्द दरवाजे के बाहर तक कतारें लग गई। कुल की फातिहा से पहले दरगाह वक्फ कमेटी के सैक्रेट्री मोहम्मद यासीन खां अशरफी ने पुलिस व प्रशासन सहित सभी सहयोगियों का आभार जताया।
बस स्टैण्ड पर भीड़, नहीं हुई व्यवस्था
चित्तौडग़ढ़. जानकारी में सामने आया कि उर्स समापन के बाद जायरिनों के लौटने का क्रम शुरू हो गया। इससे चित्तौडग़ढ़ रेलवे स्टेशन व रोडवेज बस स्टैण्ड पर खासी भीड़ जमा हो गई। जायरिन बसों व अन्य साधनों से शाम को चित्तौडग़ढ़ तक आ गए।
यहां बस स्टैण्ड पर कोटा एवं बारा मार्ग पर जाने के लिए बस नहीं थी। जायरिन इधर-उधर भटकते रहे। संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने पर यात्रियों मेें आक्रोश व्याप्त हो गया। वहीं दूसरी ओर रतलाम एवं जयपुर मार्ग पर जाने वाले जायरिनों की भीड़ रेलवे स्टेशन पर देखी गई।