विज्ञान भवन में आयोजित किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बैठक में कुछ भी नतीजा नहीं निकला। हालांकि, सरकार ने पहले ही यह प्रस्ताव दे दिया था कि इन तीनों कानूनों को डेढ़ साल के लिए स्थगित कर दिया जाता है और फिर इसपर बिंदुवार चर्चा की जाए। लेकिन किसानों ने इस प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया और अब शुक्रवार की बैठक में भी आंदोलन खत्म करने को लेकर कोई हल नहीं निकल सका।
Farmers Protest: मोदी सरकार के लिए राहत की बात! नए कृषि कानूनों को IMF ने बताया महत्वपूर्ण कदम
इस पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ( Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar ) ने तीखी टिप्पणी की है। बैठक बेनतीजा रहने से नाराज कृषि मंत्री तोमर ने स्पष्ट कहा कि किसान आंदोलन की पवित्रता नष्ट हो चुकी है और अब कुछ लोग इसका राजनीतिक फायदा उठा रहे हैं। कुछ ताकतें ऐसी है तो ये नहीं चाहती है कि आंदोलन खत्म हो।
उन्होंने कहा ‘किसानों को हमने सबसे बेहतर प्रस्ताव दे दिया है, लेकिन कुछ ताकतें चाहती हैं कि आंदोलन चलता रहे और इसका कुछ अच्छा नतीजा ना निकले।’ बता दें कि इस बैठक में भी किसान संगठन इस बात पर अड़े रहे कि तीनों कानूनों को रद्द किया जाए, जबकि सरकार ने कई वैकल्पिक प्रस्ताव दिए। लिहाजा, बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला।
बैठक की अगली तारीख तय नहीं
बता दें कि पिछले 10 दौर की बातचीत की तरह ही 11वें दौर की बातचीत बेनतीजा रहा और इस बार अगली बैठक के लिए तारीख भी तय नहीं की गई। ऐसे में अब आंदोलन खत्म होने को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है।
इधर शुक्रवार की बैठक में किसानों ने सरकार पर आरोप लगाया कि उनका रवैया ठीक नहीं था। इसके साथ ही किसान संगठनों ने कहा कि वे अब अपना आंदोलन तेज करेंगे। जबकि सरकार ने आज की बैठक में अपने रुख में कड़ाई लाते हुए कहा कि यदि किसान यूनियन कानूनों को निलंबित किए जाने संबंधी प्रस्ताव पर चर्चा के लिए सहमत हो तो वह दोबारा बैठक करने के लिए तैयार हैं।
Farmers Protest: किसानों ने सरकार को दी चेतावनी, अब रणनीति बनाकर राज्यपाल का भी करेंगे घेराव
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि देशभर के किसानों के फायदे के लिए कृषि सुधार विधेयकों को पारित किया गया है। लेकिन यह आंदोलन मुख्य रूप से पंजाब के किसानों और कुछ अन्य राज्यों के कुछ किसानों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आंदोलन खत्म करने के लिए कई प्रस्ताव दिए, लेकिन जब आंदोलन की शुचिता खो जाती है, तो फिर कोई समाधान संभव नहीं होता।
कृषि मंत्री तोमर ने अब स्पष्ट कहा कि कुछ ताकतें हैं कि जो चाहती हैं कि आंदोलन जारी रहे और कोई भी नतीजा न निकले। उन्होंने कहा कि वार्ता के दौर में मर्यादाओं का तो पालन हुआ, लेकिन किसानों के हक में बातचीत का मार्ग प्रशस्त हो, इस भावना का हमेशा अभाव था, इसलिए यह निर्णय तक नहीं पहुंच सकी। इसका मुझे भी खेद है।