कोलकाता। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से जुड़ी 64 गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किए जाने के साथ ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केन्द्र सरकार से नेताजी से संबंधित 150 गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग की। उन्होंने सार्वजनिक की गई फाइलों में 1945 के बाद भी नेताजी के जिन्दा होने के संकेत मिलने का दावा किया और कहा कि नेताजी की मृत्यु संबंधित सच्चाई देश के लोगों के सामने आनी चाहिए। केन्द्र को 70 साल पहले दूसरे देशों से हुए समझौते की परवाह नहीं करनी चाहिए।
पुलिस म्यूजियम में शुक्रवार को नेताजी से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक किए जाने के कुछ ही देर बाद ममता बनर्जी ने फाइलें पढ़ी। करीब डेढ़ घंटे कम्प्यूटर पर फाइलों को सरसरी निगाह से देखने के बाद उन्होंने बताया कि नेताजी की मृत्यु के संबंध में अब तक तरह-तरह की कहानियां कही और अफवाहें उड़ाई जाती रही हैं, लेकिन सच्चाई यह कि आजादी के 70 साल बाद भी हम आजादी दिलाने वाले इस वीर पुरूष की मौत के बारे में कुछ नहीं जानते।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा, यह हमारे लिए दुर्भाग्य है। सच क्या है देश के सामने आना चाहिए। उनसे संबंधित हमारे पास जितनी फाइलें थी उसे पता चलते ही हमने सार्वजनिक कर दिया। पहले पता चलता तो यह काम और पहले कर देती। अब देश के हित में और नेताजी के सम्मान में केन्द्र सरकार भी उनसे संबंधित 150 गोपनीय फाइलें सार्वजनिक कर सच्चाई का उजागर करे। हमने इस महान काम की शुरूआत कर दी है। अब केन्द्र सरकार नेताजी से जुड़ी सच्चाई देश के सामने ला कर अपना कर्तव्य निभाए।
जब उनसे पूछा गया कि केन्द्र गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने से इनकार करेगा तो उनका अगला कदम क्या होगा? उन्होंने बताया कि एक दो दिन में घबराने की जरूरत नहीं है। पहले केन्द्र को इस संबंध में कुछ करने दें।
उन्होंने वर्ष 1945 के बाद भी नेताजी के जिन्दा होने के संकेत मिलने का दावा किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने सरसरी निगाहों से कुछ फाइलें पढ़ी हैं। इससे दो संकेत मिल रहे हैं। एक फाइल में उपलब्ध अमरीकी खुफिया एजेंसी के हवाले से हावड़ा सीआईडी की लिखे गए पत्र से संकेत मिलता है कि 1945 के बाद भी नेताजी जिन्दा थे। फाइलों से दूसरा यह संकेत मिल रहा है कि आजादी के बाद की सरकारों ने नेताजी के परिवार की जासूसी करवाई।