सिरोया ने कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से पेश किए जाने के कारण पूरे देश में राजपूत समाज इस फिल्म के प्रदर्शन का विरोध कर रहा है। बेंगलूरु में भी राजपूत समाज ने इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया है। सिरोया ने सरकार से एक बार फिर राज्य में फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की अपील करते हुए कहा कि इसमें पद्मावती के चरित्र को गलत तरीके से चित्रित किया गया है। सिरोया के वक्तव्य पर बयान देते हुए गृहमंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार को किसी फिल्म पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि फिल्म के प्रदर्शन के बारे में फैसला सेंसर बोर्ड को करना होता है और उसका फैसला ही अंतिम होता है।
रेड्डी ने सिरोया से मुखातिब होते हुए कहा कि न तो आपने और ना ही हमने फिल्म देखी है और ना ही जानते हैं कि उसमें वास्तविक तौर पर क्या दर्शाया गया है। अब ऐसी स्थिति में सरकार कैसे कोई फैसला कर सकती है। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को इस बारे में निर्णय लेने दीजिए और हम इस मामले को देखेंगे। रेड्डी ने कहा कि जहां तक कानून-व्यवस्था की स्थिति का सवाल है, सरकार फिल्म के प्रदर्शन और उससे पहले भी आवश्यकता पड़ने पर पुख्ता सुरक्षा बंदोबस्त उपलब्ध कराएगी। बाकी दलों के सदस्यों ने भी फिल्म से लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचने के मसले पर सिरोया का समर्थन किया। रेड्डी ने सदन को भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार लोगों की भावनाओं से केंद्र सरकार को अवगत कराएंगे।