अनजाने शहर में प्रेमी को तलाशने के लिए भटक रही है ये युवती, इसकी दर्दभरी दास्तां सुन सहम जाएंगे, देखें वीडियो
पहली बार मिला युगल कंकाल
यह 'युगल कब्र' दिल्ली के उत्तर-पश्चिम में लगभग 150 किलोमीटर दूर हरियाणा के राखीगढ़ी में हड़प्पा (Harappan) कालीन सभ्यता की बस्तियों में खुदाई के दौरान मिली है। कंकाल मिलने से मानव-विज्ञान के रूप में(anthropologically) पुष्टि हुई है कि हड़प्पा कब्रिस्तान में एक साथ युगल को दफनाया जाता था। पुरातत्वविदों ने कहा है कि सबूत इस तरफ इशारा करते हैं कि युगल को एक साथ या एक ही समय पर दफनाया गया है। उन्हें एक के बाद एक को दफनाने के स्पष्ट सबूत नहीं मिल सके हैं। हालांकि कई बस्तियों और कब्रिस्तानों की खोज की गई है, जिनकी जांच हुई लेकिन हड़प्पा कब्रिस्तानों में किसी भी जोड़े को एक साथ दफनाने की खबर नहीं मिलती है। स्थल की खुदाई करने वाले पुरातत्वविदों को कंकाल चित लेटे हुए मिले (supine position) जिनके दोनों हाथ और पैर एक समान फैले हुए हैं। इस तरह 'युगल कंकाल' के मिलने से पुरातत्वविदों के बीच और दिलचस्पी जाग गई है। बता दें कि हाल ही में डेक्कन कॉलेज डीम्ड यूनिवर्सिटी टीम द्वारा मिले इस कंकाल के निष्कर्ष की समीक्षा को एनाटॉमी और सेल बायोलॉजी की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका एसीबी जर्नल में प्रकाशित किया गया है। खुदाई और विश्लेषण डेक्कन कॉलेज डीम्ड विश्वविद्यालय और पुरातत्व संस्थान, सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन, सियोल, कोरिया के पुरातत्व विभाग द्वारा किए गए थे।

यह 'युगल कब्र' दिल्ली के उत्तर-पश्चिम में लगभग 150 किलोमीटर दूर हरियाणा के राखीगढ़ी में हड़प्पा (Harappan) कालीन सभ्यता की बस्तियों में खुदाई के दौरान मिली है। कंकाल मिलने से मानव-विज्ञान के रूप में(anthropologically) पुष्टि हुई है कि हड़प्पा कब्रिस्तान में एक साथ युगल को दफनाया जाता था। पुरातत्वविदों ने कहा है कि सबूत इस तरफ इशारा करते हैं कि युगल को एक साथ या एक ही समय पर दफनाया गया है। उन्हें एक के बाद एक को दफनाने के स्पष्ट सबूत नहीं मिल सके हैं। हालांकि कई बस्तियों और कब्रिस्तानों की खोज की गई है, जिनकी जांच हुई लेकिन हड़प्पा कब्रिस्तानों में किसी भी जोड़े को एक साथ दफनाने की खबर नहीं मिलती है। स्थल की खुदाई करने वाले पुरातत्वविदों को कंकाल चित लेटे हुए मिले (supine position) जिनके दोनों हाथ और पैर एक समान फैले हुए हैं। इस तरह 'युगल कंकाल' के मिलने से पुरातत्वविदों के बीच और दिलचस्पी जाग गई है। बता दें कि हाल ही में डेक्कन कॉलेज डीम्ड यूनिवर्सिटी टीम द्वारा मिले इस कंकाल के निष्कर्ष की समीक्षा को एनाटॉमी और सेल बायोलॉजी की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका एसीबी जर्नल में प्रकाशित किया गया है। खुदाई और विश्लेषण डेक्कन कॉलेज डीम्ड विश्वविद्यालय और पुरातत्व संस्थान, सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन, सियोल, कोरिया के पुरातत्व विभाग द्वारा किए गए थे।
हड़प्पावासी मौत के बाद जीवन में विश्वास करते थे
शोध के संबंधित लेखक, और डेक्कन कॉलेज डीम्ड विश्वविद्यालय के कुलपति वसंत शिंदे ने मीडिया को बताया कि भारत में पुरातत्वविद अक्सर संयुक्त दफन के ऐतिहासिक मतलब के बारे में बहस करते रहे हैं। उन्होंने बताया कि हड़प्पा के लोग मृत्यु के बाद जीवन में यकीन करते थे। इस तथ्य की व्याख्या कब्रों में पाए जाने वाले मिट्टी के बर्तनों और कटोरे करते हैं। शिंदे का कहना है कि बर्तनों में मृतकों के लिए भोजन और पानी हो सकता है, शायद एक प्रथा इस विश्वास से भरी रही होगी कि जिसमें उन्होंने लगता होगा कि मरने के बाद मृतकों को उनकी आवश्यकता होगी। इसलिए, मृत्यु के बाद जीवन का समकालीन नजरिया वास्तव में 5,000 साल पुराना हो सकता है।
शोध के संबंधित लेखक, और डेक्कन कॉलेज डीम्ड विश्वविद्यालय के कुलपति वसंत शिंदे ने मीडिया को बताया कि भारत में पुरातत्वविद अक्सर संयुक्त दफन के ऐतिहासिक मतलब के बारे में बहस करते रहे हैं। उन्होंने बताया कि हड़प्पा के लोग मृत्यु के बाद जीवन में यकीन करते थे। इस तथ्य की व्याख्या कब्रों में पाए जाने वाले मिट्टी के बर्तनों और कटोरे करते हैं। शिंदे का कहना है कि बर्तनों में मृतकों के लिए भोजन और पानी हो सकता है, शायद एक प्रथा इस विश्वास से भरी रही होगी कि जिसमें उन्होंने लगता होगा कि मरने के बाद मृतकों को उनकी आवश्यकता होगी। इसलिए, मृत्यु के बाद जीवन का समकालीन नजरिया वास्तव में 5,000 साल पुराना हो सकता है।
