नई दिल्ली। राजधानी के दिल्ली हॉट में चल रहे आदि महोत्सव में देश के विभिन्न इलाकों की जनजातियों में लोकप्रिय कला, संस्कृति, व्यंजन और व्यापार का अनूठा संगम देखने को मिल रहा हैं। 30 नवंबर तक चलने वाले इस महोत्सव में 25 राज्यों के आदिवासी अपने हुनर का प्रदर्शन कर रहे हैं। आदिवासी समुदाय की चित्रकारी, कला, वस्त्र अनेक ऐसे आकर्षण हैं जो लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। 16 नवंबर से शुरू हुए इस महोत्सव में 200 स्टाल लगाए गए हैं। जिसमें राजस्थान के स्टाल विशेष आकर्षण का केंद्र है। राजस्थान मूल की प्रिया का कपड़े का स्टॉल है। प्रिया बताती हैं कि राजस्थान में बांधनी कला काफी लोकप्रिय है। वहां की जनजाति महिलाएं अपने घर का काम खत्म करके कपड़ों पर कढ़ाई करती हैं। इससे वह कुछ पैसा भी कमाती हैं। बांधनी कला विदेशी पर्यटकों को भी खूब लुभाती है। एक अन्य स्टॉल पर उदयपुर के ओंकार महिवाल राजस्थान के प्रमुख मिनिएचर पेंटिंग बेच रहे हैं। महिवाल बताते हैं कि यह आर्ट मिनिएचर विश्व प्रसिद्ध है। पहले राजमहलों की दीवारें इस पेटिंग से सजी रहती थी लेकिन आज यह घर-घर में लोकप्रिय है।
नई दिल्ली। राजधानी के दिल्ली हॉट में चल रहे आदि महोत्सव में देश के विभिन्न इलाकों की जनजातियों में लोकप्रिय कला, संस्कृति, व्यंजन और व्यापार का अनूठा संगम देखने को मिल रहा हैं। 30 नवंबर तक चलने वाले इस महोत्सव में 25 राज्यों के आदिवासी अपने हुनर का प्रदर्शन कर रहे हैं। आदिवासी समुदाय की चित्रकारी, कला, वस्त्र अनेक ऐसे आकर्षण हैं जो लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। 16 नवंबर से शुरू हुए इस महोत्सव में 200 स्टाल लगाए गए हैं। जिसमें राजस्थान के स्टाल विशेष आकर्षण का केंद्र है। राजस्थान मूल की प्रिया का कपड़े का स्टॉल है। प्रिया बताती हैं कि राजस्थान में बांधनी कला काफी लोकप्रिय है। वहां की जनजाति महिलाएं अपने घर का काम खत्म करके कपड़ों पर कढ़ाई करती हैं। इससे वह कुछ पैसा भी कमाती हैं। बांधनी कला विदेशी पर्यटकों को भी खूब लुभाती है। एक अन्य स्टॉल पर उदयपुर के ओंकार महिवाल राजस्थान के प्रमुख मिनिएचर पेंटिंग बेच रहे हैं। महिवाल बताते हैं कि यह आर्ट मिनिएचर विश्व प्रसिद्ध है। पहले राजमहलों की दीवारें इस पेटिंग से सजी रहती थी लेकिन आज यह घर-घर में लोकप्रिय है।