अब्दुल्ला ने कहा कि जिन्ना इस फैसले को मान गए थे, लेकिन जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद और सरदार पटेल ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा- जब ये नहीं हुआ तब जिन्ना फिर से अलग देश पाकिस्तान बनाने की मांग की।’ फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर उस समय कमिशन का फैसला मान लिया जाता, तो ऐसा मुल्क कहीं नहीं होता। आज कोई बांग्लादेश, पाकिस्तान नहीं होता, बल्कि एक हिंदुस्तान होता।
पूर्व CM अब्दुल्ला ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना उस कमीशन की बात मानने के पक्ष में थे जिसमें, मुस्लिमों, सिखों समेत अन्य अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार देने की बात कही जा गई थी। लेकिन पंडित नेहरू, मौलाना आजाद और सरदार पटेल ने अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार देने वाली बात मानने से इनकार कर दिया था। इसी कारण देश का बंटवारा करना पड़ा।
कश्मीर पर भी दिया था विवादित बयान बता दें, पूर्व सीएम अब्दुल्ला पहले भी अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं। पिछले साल उन्होंने कश्मीर को लेकर बयान दिया था, जिस पर बवाल हुआ था। अब्दुलला ने कहा था कि स्वतंत्र कश्मीर की बात करना ‘गलत’ है, क्योंकि घाटी चारों ओर से भूआबद्ध है और तीन परमाणु शक्तियों – चीन, पाकिस्तान और भारत से घिरी हुई है। उन्होंने यह दावा भी कर डाला कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (POK) पाकिस्तान का है और यह स्थिति कभी नहीं बदल सकती, भले ही दोनों देश इसके लिए कितने भी युद्ध क्यों न लड़ लें। उनका बयान इसलिए भी विवादों में आया था, चूंकि इससे कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने भी ऐसा बयान दिया था, जिसमें उन्होंने स्वतंत्र कश्मीर के विचार को खारिज करते हुए कहा था कि यह हकीकत पर आधारित नहीं है।