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Pranab Mukherjee : जिस नंबर 13 को अशुभ मानते हैं लोग, प्रणब दा का इस नंबर से रहा खास कनेक्शन

Former President Pranab Mukherjee का 13 अंक के साथ रहा खास नाता
वैवाहिक जीवन में बंधने से लेकर राष्ट्रपति चुने जाने तक प्रणब दा के लिए 13 अंक रहा काफी खास
आमतौर पर 13 अंक से दूर भागते हैं लोग, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति के लिए यही अंक बना यादगार

Sep 01, 2020 / 01:19 pm

धीरज शर्मा

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ( Pranab Mukherjee )अब इस दुनिया में नहीं रहे। 84 वर्ष की उम्र में उन्होंने दिल्ली के आर्मी अस्पताल में अंतिम सांस ली। देश के चहेते राष्ट्रपतियों में शुमार प्रणब मुखर्जी का निधन फेफड़ों में संक्रमण की वजह से हुआ। वे 10 अगस्त से आर्मी अस्पताल में भर्ती थे। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें हैं जिन्हें कम ही लोग जानते हैं। इनमें से एक है 13 अंक से खास कनेक्शन।
दरअसल आमतौर पर लोग 13 अंक से दूर भागते हैं। इस अंक को कुछ अशुभ भी मानते हैं। लेकिन पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुख्रजी का 13 अंक से एक खास कनेक्शन था। आईए जानते हैं 13 अंक और प्रणब दा के बीच क्या था कनेक्शन।
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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के लिए 13 का अंक काफी शुभ साबित हुआ। प्रणब दा के जीवन की तमाम महत्वपूर्म घटनाएं इस 13 अंक पर ही गवाह बनीं।
13 जुलाई को विवाद बंधन में बंधे
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के वैवाहिक जीवन की शुरुआत 13 अंक के साथ ही हुई है। 13 जुलाई 1957 में प्रणब मुखर्जी ने शादी की। ऐसे में ये दिन और उनकी जीवन की महत्वपूर्ण घटना 13 अंक की गवाह बनी।
प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति बने
प्रणब मुखर्जी के जीवन में 13 अंक का खास कनेक्शन इसलिए भी बन गया है क्योंकि उनके जीवन का सपना राष्ट्रपति बनने का पूरा हुआ और वो देश के 13वें राष्ट्रपति बने।
13 नंबर बंगला हुआ अलॉट
राष्ट्रपति बनने के बाद प्रणब मुखर्जी को जो बंगला आवंटित किया गया वो भी 13 अंक का ही था। यानी उनके जीवन में हर बड़ी घटना 13 अंक से जुड़ी रही। प्रणब मुखर्जी दिल्ली के तालकटोरी स्थित 13 नंबर के बंगले में 1996 से 2012 तक रहे।
13 तारीख को ही बतौर राष्ट्रपति नॉमीनेट हुए
प्रणब मुखर्जी का पहली बार यूपीए सरकार में बतौर राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर नाम जिस तिथि को सामने आया वो भी 13 ही थी। 13 जून 2012 को यूपीए की ओर से दो नाम प्रणब मुखर्जी और दूसरा हामिद अंसारी सामने आए। दरअसल ये नाम ममता बनर्जी ने सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई बैठक में सामने रखे थे।
13 जुलाई को ही संसद सत्र में हुए उपस्थित
प्रणब मुखर्जी तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के काफी करीबी रहे। प्रणब दा के काम से प्रभावित होकर 1969 में इंदिरा ने उन्हें पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के लिए चुना। चुने जाने के बाद 13 जुलाई 1969 को पहली बार प्रणब मुखर्जी ने संसद में कदम रखा।
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13 अंक के साथ प्रणब मुखर्जी का रिश्ता कुछ इस तरह था, कि उनके जीवन के यादगार लम्हे इसी अंक के गवाह रहे। फिर चाहे वो विवाह हो या फिर राजनीतिक सफर की अहम शुरुआत या फिर राष्ट्रपति के लिए चुना जाना।

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