पांच घंटे तक चली घमासान मुठभेड़
पुलिस महानिदेशक सतीश माथुर ने सी-60 दस्ते को इस कामयाबी के लिए बधाई दी है। अधिकारी ने कहा कि भामरगढ़-इतापल्ली तालुका की सीमा पर बोरिया जंगल में मुठभेड़ हुई। पुलिस कमांडो के एक सी-60 दस्ते ने सुबह करीब 7 बजे नक्सल रोधी अभियान की शुरुआत की। इस अभियान की शुरुआत छिपे हुए नक्सवादियों के अचानक हमले के बाद की गई। पुलिस ने हमले का जवाब गोलीबारी से दिया। यह घमासान पांच घंटों तक सुबह 11 बजे तक जारी रहा। इस मुठभेड़ में प्रतिबंधित संठगन के दो कमांडर साईनाथ और साइनयू को भी मार गिराया गया है।
पुलिस महानिदेशक सतीश माथुर ने सी-60 दस्ते को इस कामयाबी के लिए बधाई दी है। अधिकारी ने कहा कि भामरगढ़-इतापल्ली तालुका की सीमा पर बोरिया जंगल में मुठभेड़ हुई। पुलिस कमांडो के एक सी-60 दस्ते ने सुबह करीब 7 बजे नक्सल रोधी अभियान की शुरुआत की। इस अभियान की शुरुआत छिपे हुए नक्सवादियों के अचानक हमले के बाद की गई। पुलिस ने हमले का जवाब गोलीबारी से दिया। यह घमासान पांच घंटों तक सुबह 11 बजे तक जारी रहा। इस मुठभेड़ में प्रतिबंधित संठगन के दो कमांडर साईनाथ और साइनयू को भी मार गिराया गया है।
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C-60 के शिकार बन गए टॉप नक्सली कमांडरसतीश माथुर ने कहा कि अब तक हमने नक्सलियों के 16 शव बरामद किए हैं, जिसमें कुछ महिलाएं हैं। जंगल में अन्य शवों की तलाशी के लिए अभियान जारी है। उनका मानना है कि एक पूरे सक्रिय दलम (इकाई) के साथ उच्च स्तर के कमांडरों व अन्य सर्वाधिक वांछित नक्सलियों का मुठभेड़ में सफाया हो सकता है।
नक्सलियों के खात्मे के लिए बनी C-60 कमांडो टीम
नक्सलियों के आतंक को खत्म करने के लिए महाराष्ट्र पुलिस ने दो खास दस्ता तैयार किया है। प्रत्येक दस्ते में 30-30 सदस्य शामिल हैं इसलिए इसे C-60 कमांडो टीम कहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ये टीम खुफिया जानकारी के आधार पर नक्सलियों के खिलाफ अपने मिशन को अंजाम देती है। किसी भी ऑपरेशन पर ये दोनों टीमें एक किलो मीटर की दूरी पर चलती हैं। ‘टीम ए’ जब टारगेट के नजदीक पहुंच जाती है, तो ‘टीम बी’ को दूसरी दिशा से बढ़ने का इशारा दिया जाता है। दोनों टीमें साथ इसलिए नहीं निकलती ताकि दुश्मन को जवानों की संख्या का पता न चल पाए।
नक्सलियों के आतंक को खत्म करने के लिए महाराष्ट्र पुलिस ने दो खास दस्ता तैयार किया है। प्रत्येक दस्ते में 30-30 सदस्य शामिल हैं इसलिए इसे C-60 कमांडो टीम कहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ये टीम खुफिया जानकारी के आधार पर नक्सलियों के खिलाफ अपने मिशन को अंजाम देती है। किसी भी ऑपरेशन पर ये दोनों टीमें एक किलो मीटर की दूरी पर चलती हैं। ‘टीम ए’ जब टारगेट के नजदीक पहुंच जाती है, तो ‘टीम बी’ को दूसरी दिशा से बढ़ने का इशारा दिया जाता है। दोनों टीमें साथ इसलिए नहीं निकलती ताकि दुश्मन को जवानों की संख्या का पता न चल पाए।
हाइटेक हथियार और ड्रोन से लैस
C-60 कमांडो टीम पूरी तरह अत्याधुनिक हथियारों और कैमरे से लैस होती है। इसके पास करीब 4 हजार गुना हाई डिफिनेशन रिजोल्यूशन की क्षमता का कैमरा होता है। जो रात के समय भी काम करता है। टीम के पास 4 ड्रोन भी है, जो आसमान में रहते हुए दुश्मन की स्थिति को टीम तक पहुंचता है।
C-60 कमांडो टीम पूरी तरह अत्याधुनिक हथियारों और कैमरे से लैस होती है। इसके पास करीब 4 हजार गुना हाई डिफिनेशन रिजोल्यूशन की क्षमता का कैमरा होता है। जो रात के समय भी काम करता है। टीम के पास 4 ड्रोन भी है, जो आसमान में रहते हुए दुश्मन की स्थिति को टीम तक पहुंचता है।