बिहार में बापू आपके द्वार कार्यक्रम
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने स्कूलों में अहिंसा पर आधारित पाठ्यक्रम और निर्भीक पत्रकारिता के लिए एक पुरस्कार शुरू करने का प्रस्ताव दिया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि उनका मंत्रालय दुनिया के 193 देशों में कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहा है। जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गांधीजी की 150वीं जयंती को शांति और सुलह के वर्ष के रूप में मनाने का प्रस्ताव दिया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने गांधी के संदेश को राज्य के हर घर तक पहुंचाने के लिये ‘बापू आपके द्वार’ कार्यक्रम चला रही है। ताकि नई पीढ़ी के बच्चे बापू के अहम विचारों को समझकर अपने जीवन में उतारें।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने स्कूलों में अहिंसा पर आधारित पाठ्यक्रम और निर्भीक पत्रकारिता के लिए एक पुरस्कार शुरू करने का प्रस्ताव दिया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि उनका मंत्रालय दुनिया के 193 देशों में कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहा है। जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गांधीजी की 150वीं जयंती को शांति और सुलह के वर्ष के रूप में मनाने का प्रस्ताव दिया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने गांधी के संदेश को राज्य के हर घर तक पहुंचाने के लिये ‘बापू आपके द्वार’ कार्यक्रम चला रही है। ताकि नई पीढ़ी के बच्चे बापू के अहम विचारों को समझकर अपने जीवन में उतारें।
आतंकवाद के दौर में भी गांधी प्रासंगिक
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि आतंकवाद और अशांति के इस दौर में भी गांधी का अहिंसा का सिद्धांत बेहद प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी भारत की आत्मा की आवाज थे। महात्मा हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य हैं। पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्र को अगले साल महात्मा गांधी की जयंती काम के जरिए मनाना चाहिए और प्रतीकात्मक रूप से नहीं मनाना चाहिए। गांधी की कृतियों को जीवन में आत्मसात किया जाना चाहिए। ताकि आने वाली पीढ़ियां उन्हें याद करें। उनके सम्मान में आयोजित कार्यक्रम को एक जनांदोलन के रूप में होना चाहिए।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि आतंकवाद और अशांति के इस दौर में भी गांधी का अहिंसा का सिद्धांत बेहद प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी भारत की आत्मा की आवाज थे। महात्मा हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य हैं। पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्र को अगले साल महात्मा गांधी की जयंती काम के जरिए मनाना चाहिए और प्रतीकात्मक रूप से नहीं मनाना चाहिए। गांधी की कृतियों को जीवन में आत्मसात किया जाना चाहिए। ताकि आने वाली पीढ़ियां उन्हें याद करें। उनके सम्मान में आयोजित कार्यक्रम को एक जनांदोलन के रूप में होना चाहिए।